विश्व हिंदी दिवस कविता 2024 : आओ अपनों को अपनाएँ - Hindi Day Poem

Dr. Mulla Adam Ali
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World Hindi Day Kavita 2024 : Hindi Diwas Kavita

Poem on Hindi Divas

10 जनवरी विश्व हिंदी दिवस पर कविता 2024 : विश्व हिंदी दिवस पर कविता आओ अपनों को अपनाएँ, हिंदी दिवस कविताएं। Poem on World Hindi Day 2024, Hindi Diwas Kavita 2024, 10 January 2024 World Hindi Day Poetry, Hindi Kavita Kosh, Hindi Poem on World Hindi Day, Vishwa Hindi Divas Kavita 2024, International Hindi Day Poem on Hindi...

आओ अपनों को अपनाएँ

हम हिन्दुस्तानी गहलाते हैं, पर हिन्दी से शरमाते हैं,

पाश्चात्य सभ्यता अपनाते हैं, औरों के पीछे जाते हैं।

अंग्रेजी में हस्ताक्षर कर, अपनी शान बढ़ाते हैं,

हिन्दी में हस्ताक्षर कर अपने को हीन बताते हैं।

दो साल के छोटे बच्चों को ए.बी.सी. सिखलाते हैं,

अ अनार आ आम छोड़ कैट और रैट पढ़ाते हैं।

अंग्रेजी बोलने वालों को हम ही सम्मान दिलाते हैं,

हिन्दी में बोलने वालों को हम ही मूर्ख बताते हैं।

यह कैसी विडंबना है मन की, यह कैसी विवशता है मन की,

भारत माँ की भाषा को अपनी कहने में लजाते हैं।

हिन्दी को नहीं उठाते हैं अंग्रेजी को पनपाते हैं,

अपनी बीमार माँ को बीमार छोड़, आंटी की सेवा में जाते हैं।

 अपने घर में अंधेरा कर मंदिर में दीप जलाते हैं,

अपनों को नहीं अपनाते हैं गैरों से प्रेम बढ़ाते हैं।

है हिन्दी का साहित्य अपार और अनंत शब्द भंडार,

हिन्दी तो माथे की बिंदी है, करती भाषा का शृंगार।

तुलसी सूर जायसी ने हिन्दी काव्य को दिया संवार,

गुप्त, पंत, निराला ने प्रकृति प्रेम को दिया उभार।

सूर वात्सल्य में हुए विभोर, तुलसी ने दी भक्ति उपहार,

कहीं बिहारी के दोहों ने, कविता में भर दिया शृंगार।

प्रेमचंद निर्धन होकर, भाषा के धनी कहलाते थे,

हिंदी साहित्य की उन्नति में, अपना सर्वस्व लुटाते थे।

हम उनके इतिहास को दोहराएँ, हम हिन्दी को अपनाएँ,

हिन्दी की उन्नति करें, हिन्दी को पनपाएँ।

अब प्रश्न यहाँ उठता है एक, खो गया कहाँ अपना विवेक,

 अंग्रेजों को तो भगा दिया, अंग्रेजी को क्यों न भगाते हैं।

हम ऐसा क्यों करते हैं? अपनों को क्यों भुलाते हैं?

विक्रमी संवत् तो याद नहीं, अंग्रेजी सन् को दोहराते हैं।

आओ हम मिलकर प्रण करें, प्राचीन संस्कृति को याद करें,

 हिन्दी का उत्थान करें, हिन्दी का सम्मान करें।

ये सभी तभी संभव होंगे, जब नियम सभी कठोर होंगे।

हम हिन्दुस्तानी कहलाएँगे, हम हिन्दी को अपनाएँगे,

हिन्दी कार्यशाला में जाएँगे, हिन्दी सप्ताह मनाएँगे,

दफ्तर में हिन्दी का उपयोग करेंगे,

काम हिन्दी में करेंगे। हिन्दी दिवस मनाएँगे।

जय हिन्दी जय हिन्द!

- रा. स्वामीनाथन

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