Father's Day 2025 Special पिता पेड़ पूजित पीपल सा - मंजु रुस्तगी
पितृ दिवस पर विशेष कविता
👨👦👨👧 पिता पेड़ पूजित पीपल सा 👨👧👨👦
माँ ने बेशक रखा कोख में, पीड़ा सहकर जनम दिया,
लेकिन हर सपने को पिता ने, उड़ने हेतु गगन दिया।
पिता पेड़ पूजित पीपल सा, भरे संबंधों में प्राणवायु,
अपने स्वेद-कणों से करता, घर की सुगंधित जलवायु।
तुम थे एक सरोवर ऐसे, स्वप्न-कमल जिसमें खिलते ,
तुम थे घर के कल्पतरु, इच्छा-फल जिसमें थे फलते।
तुम थे तो अनुशासन था, पंछी का दाना-पानी था,
सूरज थे तुम खुशियों वाले, तमस का न कोई मानी था।
अपने अनुभव के प्रकाश से,सदा किया पथ आलोकित,
हर मुश्किल के हल थे पापा, दुख हो जाते तिरोहित।
मूक ख्वाहिशों को देकर स्वर, सदा तुम्हें हँसते देखा,
अचल रहे तुम पर्वत जैसे, नयन कभी ना भरते देखा।
लगता हर संगीत अधूरा,पापा जीवन- साज में,
व्याकुल मन कहता हरपल,काश तुम होते मेरे आज में।
- डॉ. मंजु रुस्तगी
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