दिवाली का इतिहास और महत्व : दीपावली से जुड़ी दिलचस्प कथाएं

Dr. Mulla Adam Ali
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दिवाली का इतिहास और महत्व : दिवाली की पौराणिक कथाएं हिंदी में

Dipawali Ki Katha In Hindi 

diwali history and significance

इतिहास के झरोखे से : दीपावली से जुड़ी कहानियां - Diwali Katha in Hindi 

Diwali History and Significance in Hindi : दिवाली का इतिहास और महत्व - दीपावली का त्यौहार हम सबके लिए खुशियां लेकर आता है। यह त्योहार हम सबके बीच हर्षोल्लास का माहौल तैयार करता है। भारत पर्वों का देश है और खासकर कार्तिक महीना तो हमारे लिए सबसे बड़ा त्योहार दीपावली लेकर आता है। दीपावली या दिवाली दीपों का त्योहार है। भारतीय संस्कृति के सबसे रंगीन और विविधता से भरे यह पर्व दिवाली है। बच्चे बूढ़े सब मिलकर एक साथ बड़े धूम धाम से यह पर्व मनाते है, परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे से मिलझुलकर बड़े आनंद के साथ दिवाली मनाते हैं। इस दौरान हर घर को दीपों से सजा दिया जाता है, पूरा भारत दीपों की रोशनी से जगमगा रहता है इसलिए दिवाली को दीपों का पर्व कहा जाता है।

आज देखा जाए तो पैसा सब रिश्तों से बड़ा है, ऐसे में कलियुग में तो पैसा ही सबकुछ मानते हैं लोग, माता लक्ष्मी देवी ही हमें भौतिक सुख की प्राप्ति करती हैं। ऐसे में इस त्योहार पर माता लक्ष्मी की पूजा बड़ा महत्व रखता है, इस त्योहार पर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। दिवाली को शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो 14 साल के वनवास बाद भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण समेत अयोध्या लौटे, रामजी के अयोध्या लौटने की खुशी में सारे अयोध्या के लोग दिया जलाकर अपनी खुशी जताई, पूरा अयोध्या नगर दीयों की रोशनी में जगमगाने लगा। अयोध्या की प्रजा घी के दीपक जलाकर अपनी खुशी व्यक्ति किया इसीलिए यह त्योहार दीपावली कहा गया है, 'दिवाली' शब्द एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ है दीपों की सरणी ('दीप' का अर्थ है मिट्टी के दीपक और 'अवली' का अर्थ है कतार या सरणी)। अन्य कहानियों के चलते माता लक्ष्मी की पूजा भी इस त्योहार में एक हिस्सा बन गई है।

दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाई जाती है, इस साल दीपावली 12 नवंबर को है। दीपावली को प्रकाश पर्व भी कहते है क्योंकि दिवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाई जाती है, असत्य पर सत्य के रूप में भी यह पर्व मनाते हैं। दीपावली के दिन अमावस्या की की काली रात दीपों के चमक से जगमगा उठती है। त्यौहार सुख और समृद्धि की प्रतीक है, त्योहार प्यार और शांति की प्रतीक है इस त्योहार के हिंदुओं समेत सभी धर्मों के लोग दिवाली में भाग लेते है, एक दूसरे के साथ मिठाईयां बांटी जाती है, आपस में त्योहार की बधाईयां दी जाती है इससे इस पर्व का सामाजिक महत्व भी बढ़ता है और दिवाली लोगों में भाईचारे की भावना को उत्पन्न करती है। दिवाली को दीपोत्सव भी कहते हैं, ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ इसका अर्थ यह है कि ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’  इस कथन को सार्थक करती है दिवाली।

दीपावली से जुड़ी कहानियां : Diwali ki Kahani 

प्रथम कथा: भगवान श्री राम से जुड़ी

प्राचीन कथा के अनुसार देखा जाए तो दिवाली के दिन अयोध्या के राजा भगवान श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात वापस अयोध्या लौटे थे। प्रभु श्री राम अयोध्या लौटने पर उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दिए जलाए, पूरा अयोध्या दीयों की रोशनी में जगमगाने लगा, तब से लेकर आजतक यह दिन दिवाली के रूप में मनाते आए हैं, दिवाली भारतीयों की आस्था और श्रद्धा, रोशनी का त्यौहार बना हुआ है दीपावली या दिवाली।

अन्य कहानियां और महत्त्व

अन्य कहानियां में देखा जाए तो भगवान श्री कृष्ण के भक्तजन का यह मानना है कि अत्याचारी राक्षस राजा नरकासुर का वध भगवान श्री कृष्ण ने किया था, नरकासुर ने प्रजा में भय फैलकर अशांति बनाई रखी थी, सारी प्रजा नरकासुर से पीड़ित थी, ऐसे राक्षस का वध श्रीकृष्ण ने करने पर जनता में हर्ष फैल गया इसी खुशी में लोग घी के दिए जलाए, इसी दिन समुद्र मंथन में माता लक्ष्मी और धनवंतरी प्रकट हुए थे, जैन मत को मनाने वालों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दिवाली को ही है।

पांच दिनों का त्यौहार दीपावली

दिवाली का त्यौहार पांच दिनों तक मनाया जाता है, पहले कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाता है, इस दिन नए बर्तन और वस्त्र खरीदना शुभ माना जाता है। दूसरे दिन यमराज के निमित्त नरक चतुर्दशी का व्रत व पूजन किया जाता है, इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। हम इस दिन को छोटी दिवाली या दीपावली के नाम से जानते हैं।

तीसरे दिन अमावस्या को दीपावली का पर्व होता है इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। अमावस्या की काली रात को दीयों की रोशनी शमां को रंगीन बना देती है। इसके बाद अगले दिन को गोवर्धन की पूजा की जाती है, इस दौरान गोवर्धन पूजा में गोबर से गोवर्धन को बनाया जाता है और भोग लगाया जाता है। धूप दीप से पूजन किया जाता है, आखरी यानी अंतिम दिन भैया दूज के साथ यह पर्व खत्म होता है।

भारत के हर राज्य, प्रांत या क्षेत्र में दिवाली मनाने के अलग अलग तरीके और कारण है, परंतु सभी जगहों पर कई पीढ़ियों से यह त्यौहार मनाते आ रहे हैं। इस त्यौहार के दौरान लोग घर के कोने कोने को साफ कर देते हैं, सभी लोग पूजा पाठ करने के लिए नए कपड़े पहनते हैं और उपहार में एक दूसरे को मिठाईयां बांटी जाती है, इस दिन परिवार के सदस्य कहीं भी हो इस दिवाली के दौरान एक साथ मिलकर बड़े हरहशोल्लास के साथ दिवाली मनाते हैं। दीपों का पर्व दीपावली समाज में उल्लास और शांति फैलता है, भाईचारे और प्रेम का संदेश फैलता है दीपावली का त्यौहार।

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