बच्चों के लिए हिन्दी हास्य कविता : हाथी दादा | Hasya Kavita For Kids

Dr. Mulla Adam Ali
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Hasya Kavita For Kids : Bal Kavita Hathi Dada

Bal Kavita Hathi Dada

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बाल कविता हाथी दादा

हाथी दादा फंसे अचानक

चलो लगाएं धक्का।

ठाट-बाट से हाथी दादा

शहर घूमने आए।

मोटर बस की पों-पों सुनकर

थोड़ा-सा घबराए।

उनके पीछे दौड़ पड़ा

बच्चों का भीड़-भड़क्का।

मेनहोल वह देख न पाए

पांव घुसा झट अंदर।

बुरे फंसे बेचारे दादा

चीख पड़े वह रोकर।

दांतों तले दबाए उंगली

थे सब हक्का-बक्का।

सब जतन कर हारे सारे

दी सब ताकत दिखला।

आई क्रेन तभी दादा का

पाँव वहां से निकला।

दादा भागे कभी न आने

का कर वादा पक्का।


- डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,

संभल, उत्तर प्रदेश

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