बाल कहानियों के सिद्धहस्त लेखक : श्री गोविन्द शर्मा

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Bal Sahityakar Govind Sharma Biography in Hindi : Govind Sharma Ka Jivan Parichay

Govind Sharma Biography in Hindi

बाल कहानियों के सिद्धहस्त लेखक : श्री गोविन्द शर्मा

राजस्थान के ही नहीं वरन् सम्पूर्ण भारत में ख्याति प्राप्त बाल साहित्यकार श्री गोविन्द जी शर्मा राजस्थान के ऐसे इकलौते बाल साहित्यकार हैं जिनको केन्द्रीय साहित्य अकादमी ने बाल साहित्य का पुरस्कार 2019 में प्रदान किया है।

सन् 1971 से निरंतर बाल साहित्य रच रहे श्री गोविन्द शर्मा जी अब तक दर्जनों पुस्तकें लिख चुके हैं, जिनका विवरण इस पुस्तक में भी दिया गया है। अभी इनका नया बाल कहानी संग्रह 'हवा का इंतजाम' आया है। श्री शर्मा की यह विशेषता रही है कि उनके संग्रह के शीर्षक वाली कहानियाँ सदैव लोकप्रिय और चर्चित रहती हैं। इस संग्रह में भी पहली कहानी ही पुस्तक शीर्षक वाली है। निश्चित रूप से ये कहानी ही नहीं बल्कि संग्रह की सभी कहानियाँ इतनी अच्छी हैं कि जो एक बार पढ़ने के बाद भूली नहीं जा सकतीं। बच्चों की भावनाओं के अनुरूप कहानी लिखने का गुण यदि किसी में है, तो वे हैं गोविन्द जी शर्मा। बाल कहानियों में सिद्धहस्त कहे जाने वाले गोविन्द जी ने एक से बढ़कर एक बाल कहानियाँ लिखीं हैं। इनकी कुछ कहानियाँ विद्यालयी पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जा रही हैं।

इस संग्रह में कुल सत्रह कहानियाँ हैं। पहली कहानी 'हवा का इंतजाम' से लेकर सत्रहवीं कहानी 'हाथी पर ऊँट' तक सबकी सब रोचक, मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद और हास्य का गुण लिए हुए है। इसकी शीर्षक कथा पढ़कर लगा कि लेखक स्वयं पोते के दादा हैं। दादा और पोते के बीच जो हृदय की गहराइयों तक संबंध होते हैं, वे इस कहानी में समाहित हैं। दूसरी कहानी बच्चों के लिए इसलिए रोचक कही जा सकती है। कि वनराज और गजराज के मध्य राजा कहलाने की बात बड़े अनूठे ढंग से प्रस्तुत की गई है। कहानी का शीर्षक ही 'वनराज और गजराज' है। 'कला की कद्र' वाली तीसरी कहानी बड़ी ही शिक्षाप्रद है। यह कला के सम्मान को लेकर लिखी गयी रोचक कथा है। 'चिंपू के सच्चे दोस्त' नामक कहानी में तीन बिल्लियाँ सच्चे दोस्त की भूमिका का निर्वहन करती हैं, जो सच बोलने की ओर इशारा करती है। जानवर भी समझदार होते हैं इस बात की भी पुष्टि उक्त कहानी के माध्यम से होती है। 'हाथी पर ऊँट' जो संग्रह की अंतिम कहानी है, किंतु है अग्र पंक्ति की कहानी। इस कहानी में हाथी और शेर के साथ ऊँट की भूमिका का वर्णन बहुत ही अच्छे तरीके से किया है।

जैसे-तैसे संग्रह की कहानियों को पढ़ते चलेंगे, तो और नयी कहानियों का आनंद आता चला जाएगा।'चिंपू बन गया', 'चूहागढ़ में चुनाव', 'टॉय-टॉय फिश', 'बब्बू जी और मोबाइल', 'परीक्षा परी का उपहार', 'देश की सेवा', 'वह सच बोला', 'बुद्धि की 'तलाश' और 'जूते' कहानियाँ बेहद रोचकता लिए हुए हैं।

श्री गोविन्द जी शर्मा की पुस्तक पर अपने विचार लिखते हुए स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। इतने बड़े बाल साहित्यकार की पुस्तक पर कुछ भी लिखना गर्व की बात है। मैं लेखक व प्रकाशक दोनों का हृदय से आभारी हूँ कि आपने मुझे कुछ टिप्पणी करने योग्य समझा।

मैं यहाँ एक बात का जिक्र करना चाहूँगा। हमारे साहित्यिक मित्र भ्रम में रहते हैं कि गोविन्द शर्मा और गोविन्द भारद्वाज दोनों एक ही व्यक्ति हैं। जबकि हम दोनों अलग-अलग हैं। हाँ, दोनों का लेखन विधा अर्थात् क्षेत्र एक जैसा है। इस भ्रम के चक्कर में बाल कहानियों, व्यंग्य, लघुकथा की अनेकों बार बधाई मुझे मिल जाती है, जबकि बाल कविताएँ मेरी होती हैं, बधाई शर्मा जी को मिलती है। कई समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं ने हमारा पारिश्रमिक भी एक-दूसरे के यहाँ भिजवा दिया, जो हम सहर्ष स्वीकार करते रहे। मुझसे भी बहुत सारे मित्रों ने पूछा, आप दो नामों से क्यों लिखते हो ? फिर उनको समझाना पड़ता है कि श्री गोविन्द जी शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार हैं, जो संगरिया, हनुमानगढ़ में रहते हैं, मैं गोविन्द भारद्वाज अजमेर में रहता हूँ। पहले मैं गोविन्द शर्मा 'भारद्वाज' के नाम से लिखा करता था, किंतु आदरणीय गोविन्द जी शर्मा से साक्षात् भेंट होने के पश्चात् मैंने उक्त नाम से मुक्त होकर गोविन्द भारद्वाज के नाम से लिखना प्रारम्भ किया। एक नामराशि होने से ईश्वर की कृपा से मैं लाभ में ही रहा। जब मैं दो वर्ष का रहा था, तब से गोविन्द जी शर्मा ने लिखना शुरू कर दिया था। जैसे जब सचिन तेंदुलकर ने खेलना शुरू किया तब रोहित शर्मा दो साल के थे, जो बाद में सचिन के साथ भी खूब खेले। मैं भी शर्मा साहब के साथ लेखन की पिच पर खेलने का छोटा-सा प्रयास कर रहा हूँ। आदरणीय गोविन्द जी का स्नेह तब से आज तक मुझे निरंतर मिल रहा है, इतना ही नहीं, बल्कि मेरे मार्गदर्शक की भूमिका भी निभा रहे हैं।

मैं माँ शारदे से प्रार्थना करता हूँ कि श्री गोविन्द जी शर्मा का यह नया संग्रह भी प्रकाशित होने के बाद एक और बड़ा पुरस्कार प्राप्त करें और बच्चों के मन इतना भाए कि इसके एक के बाद एक संस्करण निकलें।

पुस्तक के प्रकाशक साहित्यागार, धामाणी मार्केट, जयपुर को भी शुभकामनाएँ देता हूँ कि आपके संरक्षण में यह संग्रह नयी ऊंचाइयाँ छुए। कहानियों के सारे चित्र कहानियों के अनुरूप तैयार हैं, जो नन्हें पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल होंगे।

मैं पुनः श्री गोविन्द जी शर्मा को नये कहानी संग्रह की शुभकामनाएँ व बधाई देता हूँ। आप हमेशा स्वस्थ रहें और नये संग्रह बालकों व बाल साहित्य जगत् को सौंपते रहे। इस संग्रह की सफलता के लिए प्रभु से कामना करता हूँ।

- गोविन्द भारद्वाज
बाल साहित्यकार
4/254, पितृकृपा, बी-ब्लॉक, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी,
पंचशील नगर, अजमेर- 305004 ( राजस्थान)

Hawa Ka Intezam Bal Katha Sangrah in Hindi : Hawa Ka Intezam Bal Katha Sangrah by Govind Sharma

Hawa Ka Intezam Bal Katha Sangrah in Hindi

हवा का इंतजाम बाल कथा-संग्रह लेखक गोविंद शर्मा : अपनी बात

बाल कथा संग्रह : हवा का इंतजाम
लेखक : गोविंद शर्मा
ISBN: 978-81-947727-6-7
प्रकाशक : साहित्यागार (Sahityagar Publisher's)
मूल्य : ₹ 200/- Available on Amazon, Flipkart

साहित्य लेखन के लिए सन् 1971 में पहली बार कलम उठायी थी। पहले ही दिन दो बाल कथाएँ लिखी थीं। दोनों उस समय की एक बड़ी बाल पत्रिका में प्रकाशित हो गई थीं। एक पगडंडी मिल गयी आगे जाने के लिये । उसके बाद व्यंग्य खूब लिखे, अब भी लिख रहा हूँ। लघुकथाएँ भी । लघुकथाओं के चार संग्रह तथा व्यंग्य के दो संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। तीसरा होने को है। सड़कें खूब मिलीं, चलने के लिए। पर मैंने उस पगडंडी को नहीं छोड़ा। आज भी बाल साहित्य की पगडण्डी पर सरपट चल रहा हूँ। अब तक बाल कथाओं के दो दर्जन से अधिक संग्रह छप चुके हैं। इतना अधिक छपने का श्रेय स्वर्गीय श्री रमेश चंद वर्मा जी को भी जाता है। उनके आगे जब भी कोई पांडुलिपि प्रस्तुत की, उनके कार्यालय से वह पुस्तक रूप में ही बाहर आई। विरासत में उन्होंने यही अपने सुपुत्र श्री हिमांशु वर्मा को सौंपा। श्री हिमांशु वर्मा द्वारा भी अब तक मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

कुछ श्रेय भारत सरकार के प्रकाशन विभाग, राजस्थान साहित्य अकादमी और केंद्रीय साहित्य अकादमी को भी जाता है, जिन्होंने मुझे हिन्दी बाल साहित्य के अपने सर्वोच्च पुरस्कारों से नवाजा है। साहित्यिक संस्थाओं से तो बाल साहित्य के अनेक पुरस्कार- सम्मान मिले ही हैं।

प्रस्तुत बाल कथा संग्रह 'हवा का इंतजाम' में 17 कहानियाँ हैं। इनमें से अधिकांश दो वर्षों में यत्र-तत्र प्रकाशित होकर पाठकों द्वारा प्रशंसित हो चुकी हैं। प्रत्येक कहानी में मनोरंजन, रोचकता के साथ मैंने सीख देने का प्रयास किया है। बाल मन की कोमल भावनाओं को भी उकेरा है । जैसे कहानी 'हवा का इंतजाम' में पोता अपने दादा को अपने पास रोके रखने के लिए, हवा न होने की उनकी शिकायत गुब्बारे भेंट कर दूर करता है । देश भक्ति, आपसी स्नेह बनाए रखना भी कुछ कहानियों का केन्द्र बिन्दु है । ज्यादा क्या कहूँ, असली व्याख्या, समीक्षा तो बाल पाठक ही करेंगे। गत 48 वर्ष से जिस पगडंडी पर चल रहा हूँ, कितना चला हूँ, कितना आगे बढ़ा हूँ, यह तो आप पाठक वर्ग ही निर्णय करेंगे।

इस संग्रह को मेरा गृह-उत्पाद भी कह सकते हैं । कहानियाँ मैंने लिखी हैं, कहानियों के साथ रेखाचित्र और प्रथम आवरण मेरी दोहिती प्राची माटोलिया ने बनाए हैं। एक कहानी 'वनराज और गजराज' का रेखाचित्र और अंतिम कवर मेरे पौत्र अंबुज शर्मा ने बनाया है। कहानियों को क्रम दिया है, छोटे पौत्र रितिक शर्मा ने। प्रकाशक साहित्यागार और उनके कार्यकर्त्ता आदि सभी को हार्दिक आभार अर्पित करता हूँ।

- गोविंद शर्मा

हवा और इंतजाम बाल कथा संग्रह का अनुक्रम - 1. हवा का इंतजाम बाल कथा 2. वनराज और गजराज बाल कथा 3. कला की कद्र बाल कथा 4. चिंपू के सच्चे दोस्त बाल कथा 5. चिंपू बन गया बाल कथा 6. हौसले की उड़ान बाल कथा 7. चूहागढ़ में चुनाव बाल कथा 8. टांय टांय फिश बाल कथा 9. बब्बू जी और मोबाइल बाल कथा 10. परीक्षा परी का उपहार बाल कथा 11. देश की सेवा बाल कथा 12. वह सच बोला बाल कथा 13. बुद्धि की तलाश बाल कथा 14. दोस्ती बाल कथा 15. बदल गया बदलू बाल कथा 16. जूते बाल कथा 17. हाथी पर ऊँट बाल कथा।

परिचय: गोविंद शर्मा जी का जीवन परिचय - Govind Sharma Biography in Hindi

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