माया दीदी हिंदी लघुकथा : निधि मानसिंह

Dr. Mulla Adam Ali
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Maya Didi Heart Touching Short Story in Hindi

Maya Didi Heart Touching Short Story

Maya Didi Hindi Short Story by Nidhi Mansingh : दिल को छू जाने वाली हिन्दी लघुकथा माया दीदी, निधि मानसिंह की कहानी माया दीदी। हिंदी लघु कथाएं, हिंदी कहानी माया दीदी।

माया दीदी

माया दीदी मेरी मौसी की सबसे छोटी बेटी और मुझसे दो साल बडी। स्वभाव से सीधी-सादी और कम बोलने वाली थी। मौसा जी ने रईस जमींदार परिवार में माया दीदी की शादी की। जीजा जी भी अच्छे इंसान थे लेकिन, दोस्तों की संगत मे रहकर जुआ खेलने की गलत आदत लग गई और अपना सब कुछ जुऐ मे गवां दिया। कर्जदारों के कर्ज से परेशान होकर एक दिन जीजा जी ने खुदकुशी कर ली पीछे छोड़ गये माया दीदी और छः महीने की बेटी को रोता बिलखता।

ससुराल वालों के बुरे व्यवहार के कारण माया दीदी मायके में आकर रहने लगी लेकिन, यहां भी वही ताने बात - बात मे औरतों का पूछना - कब जाओगी ससुराल?, कब तक रहोगी मायके में?माया दीदी ये सब सुनकर भी अनसुना कर देती और हंसकर टाल देती। भाई - भाभी के रोज के उलाहने, मां-बाप का संस्कारों की दुहाई देकर कहना - बेटी का असली घर उसका ससुराल होता है माया दीदी को अंदर तक चोट करता था।

एक दिन माया दीदी ने अपने पिता से ससुराल जानें की बात कही, लेकिन ससुराल वाले भी माया दीदी और उनकी बेटी को रखने के लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने कहा - हमारा इससे कोई सम्बंध नही जो सम्बंध था वो, हमारे बेटे की मौत के बाद ही खत्म हो गया। गांव वालों और सरपंचों के जोर दबाव से, कि ये मां - बेटी कहाँ? जायेगी आखिर है तो इसी गांव की बहू, तो तो माया दीदी के ससुराल वालों ने एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा उन्हें दे दिया।

अब दोनों मां - बेटी उस जमीन के टुकड़े मे खड़े पेड़ के नीचे झोपडा बनाकर रहने लगी और उस जमीन से जो मिलता वही रूखा - सूखा खाकर दिन बिताने लगी। अब न मायके वालों को परेशानी और न ससुराल वालों को।

इस तरह कब 18 साल बीत गये पता ही नहीं चला? माया दीदी की बेटी 16 साल की हो गई। अब घर - परिवार वाले नाते-रिश्तेदार उसे बेटी की शादी के ताने देकर कहते - समय रहते बेटी की शादी कर दे क्या? मां - बेटी हमारी इज्जत मिट्टी में मिलाओगी। माया दीदी कुछ नही बोलती सब सुनती और चुप रह जाती। सावन का महीना था बादलों ने पूरा जोर - शोर मचा रखा था मानो इस बार तो प्रलय लाकर ही छोड़ेंगे। चारों ओर खेतों मे पानी ही पानी था इंसान तो क्या? पंछी भी अपने घोंसलों मे दुबक कर बैठ गए थे और उन निर्जन वीरान खेतों में वो दोनों मां-बेटी ही अपनी किस्मत के भरोसे बैठी थी। धीरे-धीरे रात होने लगी और चारों ओर घनघोर अंधेरा छा गया।

   बारिश के साथ - साथ तेज हवाओं ने भी तूफ़ान का रूप धारण कर लिया। सांय - सांय की आवाज के अलावा और कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। अचानक! जोर से धडाम की आवाज आई और सब कुछ जैसे हमेशा के लिए शांत हो गया। सुबह हुई और सूर्य भगवान अपनी किरणों के रथ पर सवार होकर संसार को प्रकाशमय करने के लिए आ गए। गांव के लोग खेतों की ओर अपनी फसलों को देखने के लिए चल पड़े लेकिन, खेतों के बीच मे पिछली रात को घटित उस घटना को देखकर अफसोस व्यक्त करने लगे। जिस घटना में वो दोनों मां - बेटी उसी पेड़ के टूटने से दबकर मर गई जिसके नीचे वो झोपडा बनाकर रहती थी लेकिन! दोष किसका था नही पता?

- निधि "मानसिंह"
कैथल हरियाणा
nidhisinghiitr@gmail.com

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