Gagar Me Sagar Hindi Kavita : Poem Gagar Me Sagar in Hindi
गागर में सागर हिंदी कविता
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गागर में सागर
गागर में सागर का,
अर्थ जान न पाया।
छोटे से गागर में,
सागर कब समा पाया।
उक्ति बनाने वाले ने,
कैसा परिहास रचाया।
गागर में सागर को,
समाकर दिखलाया।
ऐसा होता तो सागर,
कहर बरसा न पाता।
दानव 'सुनामी' रूप धर,
जनता को निगल न पाता।
अगर
गागर में सागर समा जाता।
- किशन प्रसाद श्रीवास्तव
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