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Kavita Alvida Se Pahle
ज़िन्दगी की भागदौड़ में कुछ पल ठहरने और आत्ममंथन की खूबसूरत प्रेरणा देती निधि 'मानसिंह' की यह कविता जीवन और समय के बीच एक भावनात्मक संवाद को प्रस्तुत करती है।
निधि 'मानसिंह' की कविता
अलविदा से पहले
कुछ अपनी कहती जा,
कुछ मेरी सुनती जा —
सुन ए ज़िन्दगी,
क्यों इतना दौड़ा रही है?
चल, ठहरते हैं पल दो पल
किसी नदी के किनारे।
देखेंगे मिलकर
उठते-गिरते
चंचल, मदमस्त
नदी की धाराएँ।
क्या पता, तू
कब अलविदा कह जाए मुझसे।
- निधि मानसिंह
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