विज्ञान और पर्यावरण पर राकेश चक्र की चार शिक्षाप्रद बाल कविताएँ

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Poetry Collection Book Desh Bane Sone Ki Chidiya by Dr. Rakesh Chakra, Hindi Children's Poems, Kids Poems in Hindi.

Desh Bane Sone Ki Chidiya

rakesh chakra four poems for childrens

देश बने सोने की चिड़िया से डॉ. राकेश चक्र द्वारा रचित चार सुंदर बाल कविताओं का संग्रह – मंगलयान पर विज्ञान, पानी की पुकार 'मेघा', प्रकृति से जुड़ी 'पक्षी और बच्चे' और पेड़ों का महत्व बताती 'उपकारी जीवन सारा'। ये कविताएं बच्चों के मन में ज्ञान, प्रकृति प्रेम और रचनात्मकता भरती हैं।

डॉ. राकेश चक्र की 4 बाल कविताएँ

मंगलयान पर बाल कविता – भारत की अंतरिक्ष विजय की कहानी

मंगलयान पर बाल कविता

भारत के मंगल मिशन पर आधारित डॉ. राकेश चक्र की बाल कविता ‘मंगलयान’ बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि और देशभक्ति की भावना जगाती है।

1. मंगलयान


मार्स ऑबिटर मिशन का, पहला यही अभियान।।

मंगल-ग्रह अंतरिक्ष में, है पहुँचा मंगलयान ।।

डॉ. के. राधाकृष्णन हैं, भारत देश की शान।

वैज्ञानिक सब ही हैं होते, मानवता के प्राण।।

ये 'इसरो' नामक प्रतिष्ठान, उपग्रह बनाता ।।

अंतरिक्ष के शोध करे, खोजें नयी कराता ।।

नित ही गढ़ता रहता है, यही मील के पत्थर।

श्रीहरिकोटा स्थापित, वर्ष उन्नीस सौ सत्तर ।।

टीवी, इण्टरनेट चलाता, सबका ज्ञान बढ़ाता ।

यही दिखाता पूरे जग को, एक मंच पर लाता।।

ये ही सागर की लहरों पर, निगरानी है रखता।

चक्रवात और तूफानों की, कथा-कहानी लिखता ।।

प्यारे बच्चो ! तुम भी कोई, नई कहानी रोज लिखो।

पढ़ो-पढ़ाओ-खेलो-कूदो, बाहर-भीतर नेक दिखो।


पानी की पुकार – ‘मेघा हमको पानी दे दो’ बाल कविता

हिंदी बालगीत पानी की पुकार

सूखे की स्थिति और वर्षा की जरूरत को दर्शाती यह सुंदर बाल कविता ‘मेघा हमको पानी दे दो’ बच्चों को जल संरक्षण का संदेश देती है।

2. मेघा हमको पानी दे दो


मेघा हमको पानी दे दो

खाने को गुरधानी दे दो।

आग उगलते सूरज दादा

पानी दे दो, पानी दे दो।।


सूखी नदियाँ सरवर सारे

फसलें सूखी, तरुवर प्यारे

घर 'औ' बाहर चैन नहीं है

चेहरे हो गए कारे-कारे

लाओ नीर, क्षीर से भाई

फसलें वही सुहानी दे दो।।


रोम-रोम से बहे पसीना

कठिन लग रहा अब तो जीना

नल में पानी नहीं आ रहा

तन-मन सारा झीना-झीनः

इन्द्र देवता बरसो भाई,

फिर से नई जवानी दे दो।।


झूम-झमाझम बरसो-बरसो

नाचूँ-कूदूँ हरषो-हरषो

नाव चलाऊँ कागज की मैं

घर आँगन में सरसो-सरसो

मोर टेरता तुमको भाई

बुंदियां नई-पुरानी दे दो।।


पक्षियों से दोस्ती सिखाती बाल कविता – पक्षी और बच्चे

पक्षी और बच्चे हिन्दी बालगीत

‘पक्षी और बच्चे’ एक रंगीन और आनंददायक बाल कविता है जो बच्चों को प्रकृति और पक्षियों से प्रेम करना सिखाती है।

3. पक्षी और बच्चे


पक्षी हैं उपवन के प्यारे।

जैसे अपने बच्चे सारे ।।

आओ कलरव इनका देखें।

खुशियों से मन भरें सकारे ।।


मोर नाचता घूम-घूम कर

'चाहा' गाती झूम-झूम कर

काँव-काँव कर कौवे बोलें

डाल-पात पर तोते डोलें

राग-रंग में मन भी झूमा

रंग-बिरंगे पक्षी न्यारे ।


हवा बह रही है सुखदाई

फूल सुवासित रही नहाई

प्राची से सूरज उग आया

सोना-सा उसने बरसाया

चमके-दमके डाल-पात सब ।

आसमान से उतरे तारे ।।


पेड़ों का महत्व समझाती कविता – उपकारी जीवन सारा

उपकारी जीवन सारा बाल कविता

‘उपकारी जीवन सारा’ कविता पेड़ों के महत्व को सरल भाषा में समझाकर बच्चों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाती है।

4. उपकारी जीवन सारा


पेड़ में जीवन भरा है

पेड़ ही जीवन हमारा।

बीज रोपें इस जमीं पर

जो बनें सबका सहारा।।


हर तरफ ही आज फैले

दानवी कुछ चित्र हैं

जो इन्हें न प्यार देते

शत्रु हैं या मित्र हैं

मत उखाड़ो, नहीं काटो

यही अपने पित्र हैं

आज हैं, ये कल सभी के

जीवों के पालनहारा ।।


बादलों को ये बुलाते

ये सदा ही मुस्कुराते

फूल, फल हमको खिलाते

पक्षी इन पर चहचहाते

ठाँव बनकर ये पथिक की

गीत हरदम यह सुनाते

क्या सुनाऊँ बात इनकी

उपकारी जीवन सारा।।


ये भी पढ़ें; तीन बालगीतों में जीवन के रंग: डॉ. राकेश चक्र की रचनाएँ

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