Hindi Poetry Collection Book Desh Bane Sone Ki Chidiya by Dr. Rakesh Chakra, Poem on Bachpan in Hindi, Bal Kavita In Hindi.
Bhool Bhulaiya Bachpan
डॉ. राकेश चक्र की कविता 'भूल-भुलइया बचपन' में बचपन की प्यारी यादों का खूबसूरत चित्रण। देश बने सोने की चिड़िया बालगीत संग्रह से बच्चों के लिए यादगार कविताएँ।
डॉ. राकेश चक्र की बाल कविता
भूल-भुलइया बचपन
प्यारे बचपन, न्यारे बचपन
उम्र हो गई अब तो पचपन ।
फिर भी याद तुम्हारी आती
सचमुच भूलभुलइया बचपन ।।
माँ का मुझको दूध पिला दे
खोए साथी मुझे मिला दे
हँसी-ठिठोली फाग-खिला दे
मेले-ठेले मुझे दिखा दे
सुन्दर-सुन्दर वसन सिला दे
आँखों में आ जाता बचपन
गया कहाँ वह मेरा उपवन ।।
सुबह-सुबह जंगल का जाना
सुना बाग चिड़ियों का गाना
सुन्दर फूलों-सा मुस्काना
चना-मटर के होले खाना
नहर धार में नाव चलाना
याद कर रहा वह अपनापन
सचमुच भूल-भुलइया बचपन ।।
छुई-छुअम्बर खेल सुहाना
कभी चोर बन खूब पिदाना
कंचा-गोली में रम जाना
गुल्ली-डण्डा खेल सुहाना
तालों में खिपड़े तैराना
देख धूल में लिपटा तन-मन
सचमुच भूल-भुलझ्या बचपन ।।
माँ की गोदी झट चढ़ जाना
उचक-उचक कर चड्डू खाना
ताऊ से पिड्डी झुलवाना
नन्हीं-सी मंझ्या दबवाना
बच्चों का पल में लड़ जाना
कहाँ गए वह मेरे प्रियजन
सचमुच भूल-भुलइया बचपन ।।
कई-कई शाला में पढ़ना
ऐसा था किस्मत का बनना
कक्षा में कुछ याद ना रखना
गुरुजनों की संटी चखना
सिसक-सिसक कर आँखें मलना
यादों में खो जाता मन
सचमुच भूल-भुलइया बचपन ।।
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