भूल-भुलइया बचपन | एक मासूम दुनिया की झलक

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Poetry Collection Book Desh Bane Sone Ki Chidiya by Dr. Rakesh Chakra, Poem on Bachpan in Hindi, Bal Kavita In Hindi.

Bhool Bhulaiya Bachpan

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डॉ. राकेश चक्र की कविता 'भूल-भुलइया बचपन' में बचपन की प्यारी यादों का खूबसूरत चित्रण। देश बने सोने की चिड़िया बालगीत संग्रह से बच्चों के लिए यादगार कविताएँ।

डॉ. राकेश चक्र की बाल कविता

भूल-भुलइया बचपन


प्यारे बचपन, न्यारे बचपन

उम्र हो गई अब तो पचपन ।


फिर भी याद तुम्हारी आती

सचमुच भूलभुलइया बचपन ।।


माँ का मुझको दूध पिला दे

खोए साथी मुझे मिला दे


हँसी-ठिठोली फाग-खिला दे

मेले-ठेले मुझे दिखा दे


सुन्दर-सुन्दर वसन सिला दे

आँखों में आ जाता बचपन


गया कहाँ वह मेरा उपवन ।।

सुबह-सुबह जंगल का जाना


सुना बाग चिड़ियों का गाना

सुन्दर फूलों-सा मुस्काना


चना-मटर के होले खाना

नहर धार में नाव चलाना


याद कर रहा वह अपनापन

सचमुच भूल-भुलइया बचपन ।।


छुई-छुअम्बर खेल सुहाना

कभी चोर बन खूब पिदाना


कंचा-गोली में रम जाना

गुल्ली-डण्डा खेल सुहाना


तालों में खिपड़े तैराना

देख धूल में लिपटा तन-मन


सचमुच भूल-भुलझ्या बचपन ।।

माँ की गोदी झट चढ़ जाना


उचक-उचक कर चड्डू खाना

ताऊ से पिड्डी झुलवाना


नन्हीं-सी मंझ्या दबवाना

बच्चों का पल में लड़ जाना


कहाँ गए वह मेरे प्रियजन

सचमुच भूल-भुलइया बचपन ।।


कई-कई शाला में पढ़ना

ऐसा था किस्मत का बनना


कक्षा में कुछ याद ना रखना

गुरुजनों की संटी चखना


सिसक-सिसक कर आँखें मलना

यादों में खो जाता मन


सचमुच भूल-भुलइया बचपन ।।


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