देश बने सोने की चिड़िया – प्रेरणादायक बाल काव्य संग्रह बच्चों के लिए | डॉ. राकेश चक्र

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Bal Kavya Sangrah Desh Bane Sone Ki Chidiya by Dr. Rakesh Chakra, Hindi Children's Poetry Collection Book, Bal Kavita Sangrah in Hindi, Hindi Kids Poems.

Desh Bane Sone Ki Chidiya

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देश बने सोने की चिड़िया (बाल काव्य संग्रह)

हैं गुलाब के फूल से, बच्चे मोती माल ।

ये ही भू-आकाश हैं, चन्दा-सा ये थाल ॥

चन्दा-सा ये थाल, करें उजियारा घर में ।

ये ही जगमग दीप, रोशनी भरते हर में ॥

कहे 'चक्र' कविराय, कि मुझे आते हैं ख़्वाब ।

आँगन की शोभा बढ़े, खिलते रहें गुलाब ।।

प्यारे बच्चों का

चाचा राकेश 'चक्र'

प्यारे बच्चों व बचपन के प्रति

मैं जब-जब प्यारे-दुलारे बच्चों से मिलता हूँ, तब-तब मेरा बचपन फिर से लौट आता है और मुझे ऐसी सुखद अनुभूति प्राप्त होती है कि सारे तनावों से मुक्त हो जाता हूँ। मैं इनके भोलेपन, हँसोरेपन, नटखटेपन, तोतलेपन, सरल, सहज एवं समर्पण भाव के चुम्बकीय प्रभाव के कारण प्रफुल्लित हो उठता हूँ और बारह-तेरह बसन्त रहने तक, उनकी लीलाओं में खोया रहता हूँ।

मेरा बचपन गाँव में बीता और यह पता ही नहीं चला कि वह कब आया, कब चला गया। फिर पढ़ने के लिए कस्बा, शहर में आया, तो उसी खोये बचपन की किशोरावस्था एवं युवा होने तक अनवरत मित्रता चलती रही और मुझे बचपन आनन्दानुभूति में सराबोर करता रहा। जब भी कभी शहर से गाँव आता तो बहुत सारे बच्चे, अपना-अपना राग सुनाते, मैं उन्हें परवल, चना, लेमनचूस आदि दे देता, तो वह ऐसा निश्छल प्यार पिलाते कि मैं गद्गद हो जाता। उनके साथ कई तरह के खेल खेलकर अपने बचपन के नाम 'छोटे' को सार्थक करता रहता।

मैं आज भी पूरा प्रयास करता हूँ कि बच्चों-सा निश्छल मुस्कराऊँ, मीठा बोलूँ, जिससे बच्चे मेरे पास आते रहें और प्रेम का मधुर रस पिलाते रहें। इस भाव-स्वभाव को मैं आज भी चलते-फिरते, आते-जाते अकेले-दुकेले बच्चों को कुछ बोलकर, छेड़कर पूरा करता रहता हूँ।

हर तरीके से प्रदूषित हुए वातावरण में बच्चे आज भी हमारी चिन्ताएँ व तनाव कम करते रहते हैं, लेकिन बढ़ते शहरों व अन्य स्थानों पर अनेकानेक समस्याओं के कारण बचपन को मिटते, पिटते, घुटते, लुटते देख रहा हूँ। ऐसा लग रहा है कि उन करोडों बच्चों के लिए बचपन अभी भी अभिशापित है। मैं उन करोड़ों

बच्चों को इस जीवन में संस्कारित कर इस अभिशाप से मुक्ति दिला पाऊँगा या नहीं, लेकिन यह मेरी जिज्ञासा आज भी बनी हुई है।

सभी प्यारे बच्चों से यही कहना चाहूँगा कि अच्छे साथियों के साथ रहकर, अच्छे संस्कार लेकर अपने माता- पिता और बड़ों का आदर कर सबको प्रेम पिलाकर बचपन का भरपूर आनन्द लेते रहें। लालच व क्रोध से दूर रहें। हाँ, टी.वी. के अच्छे सीरियल देखें, वह भी दूर से बैठकर । खूब पढ़ें और खेलें। घर में जो भी भोजन बने उसे प्रेम से समय से खाएँ। अच्छी पत्र-पत्रिकाएँ, देश-भक्तों व समाज सुधारकों का साहित्य अवश्य पढ़ें।

प्यारे बच्चो ! आप ऐसे कार्य करते हुए आगे बढ़ो, जिससे ऐसे सुसंस्कृत राष्ट्र व विश्व का निर्माण हो, जहाँ सभी प्यार से रह सकें। इस अनूठे 'बाल काव्य संग्रह'- 'देश बने सोने की चिड़िया' को अपने बाल मित्र श्री प्रमोद कुमार गुप्ता, चेयरमैन विजडम स्कूल, अलीगढ, प्रिय अनुज डॉ. नागेश जी, निचश्ल जी एवं आप सभी प्यारे बच्चों को समर्पित करते हुए हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ।

- आपका प्यारा चाचा

डॉ. राकेश 'चक्र'

Desh Bane Sone Ki Chidiya : Kavita

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"आओ मिल कुछ नया करें" – स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता पर आधारित प्रेरणादायक हिंदी कविता। यह कविता न केवल स्वच्छ भारत की ओर प्रेरित करती है, बल्कि सद्भाव, दया, और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी संदेश देती है। साफ-सफाई, पौधारोपण, जल स्रोतों की स्वच्छता और सकारात्मक सोच को अपनाकर हम भारत को फिर से 'सोने की चिड़िया' बना सकते हैं। विद्यार्थियों, शिक्षकों और कविता प्रेमियों के लिए आदर्श रचना।

देश बने सोने की चिड़िया


देश बने सोने की चिड़िया

आओ मिल कुछ नया करें

साफ-सफाई करें रोज हम

सब जीवों पर दया करें।।


बोलें-समझें प्यार की भाषा

मुख पर हो मुस्कान सदा

द्वेष-ईर्ष्या-क्रोध शत्रुवत

दूर करें जो मनस लदा

घर-बाहर की करें सफाई

आओ मिल कुछ नया करें।।


कूड़ा-कचरा नहीं जलाएँ

डालें नहीं हम इधर-उधर

श्रेष्ठ और उपकारी बनकर

जीवन को हम करें सुघड़

नदी-सरोवर स्वच्छ बनाएँ

आओ मिल कुछ नया करें।।


नयी सदी है, नया भरोसा

भारत नया बनाएँ हम

चाहे रहें मुश्किलें कितनी

आगे बढ़ते जाएँ हम

पौधे रोपें पाँच-पाँच हम

आओ मिल कुछ नया करें।।


देश बने सोने की चिड़िया बालगीत संग्रह की कविताएं 1. देश बने सोने की चिड़िया 2. मैं प्रकाश का पुंज 3. सोने-सा उपहार लाई है 4. मुस्कुरा भी लिया करो 5. मीठी नींद 6. मेरा मन 7. बच्चे करते अद्भुत प्यार 8. खुशियां ही खुशियां दे होली 9. नए वर्ष में 10. सदा शिखर पर चढ़ते हैं 11. भूल-भुलइया बचपन 12. नए-नए यह झूलों वाला 13. हँसी-खुशी के दिन 14. हँसे-हँसाए 15. काले बादल - गोरे बादल 16. मगन हुई चहके 17. बचपन कूड़ाघर 18. मंगलयान 19. मेघा हमको पानी दे दो 20. पक्षी और बच्चे 21. उपकारी जीवन सारा 22. स्वागत गीत 23. वाग्देवी माँ! मुझे स्वीकार लो।

इस बालगीत संग्रह की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश बने सोने की चिड़िया

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