Udan tashtari Kavita – An imaginative creation of Trilok Singh Thakurela, Flying Saucer Poem in Hindi, Children's Poem.
Kavita Udan tashtari
त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा रचित ‘उड़न तश्तरी’ एक प्रेरणादायक कविता है जो अंतरिक्ष यात्रा, प्रेम, भाईचारे और ज्ञान के आदान-प्रदान की कल्पनाओं को सुंदर रूप से प्रस्तुत करती है। पढ़िए यह अद्भुत रचना।
Trilok Singh Thakurela Poem
उड़न तश्तरी / त्रिलोक सिंह ठकुरेला
यदि मिल जाती उड़न तश्तरी
हम भी उड़ते नीलगगन में ।
झटपट उस ग्रह को चल देते
जिसकी इच्छा होती मन में ।।
जितने ग्रह हैं आसमान में
सभी ग्रहों तक आते जाते ।
पूनम की उजली रातों में
कभी चांद पर रात बिताते ।।
जहाँ कहीं भी लोक बसे हैं,
सबसे रखते भाईचारा ।
बढ़े परस्पर प्रेम सभी में,
रहता यही प्रयास हमारा ।।
साझा करते ज्ञान सभी से
सबसे नया सीखकर आते ।
सबकी सुख-सुविधाएं बढ़ती,
जीवन चलता हंसते गाते ।।
अंतरिक्ष का कोना कोना,
सब ग्रह, उपग्रह, चांद, सितारे ।
मिल जाती यदि उड़न तश्तरी,
सब ही लगते पास हमारे ।।
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
ये भी पढ़ें; हाथी राजा: हाथी और शेर की साहसिक कविता