हिंदी ग़ज़ल : कोई बाकी नहीं है यार

Dr. Mulla Adam Ali
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Ghazal in Hindi : पढ़िए कविता कोश में खूबसूरत ग़ज़ल हिंदी में कोई बाकी नहीं है यार, गरीबी और अमीरी, आजादी और जुल्म के विषय पर बेहतरीन ग़ज़ल हिंदी (Hindi Ghazals) में पढ़े और शेयर करें।

DARD-E-GHAZAL

दर्द भरी ग़ज़ल हिंदी में


कोई बाकी नहीं है यार बलवानों पे क्या गुज़री

जो कुछ समझे थे ख़ुद को उन पहलवानों पे क्या गुज़री


नहीं नामोनिशाँ मिलता कहीं भी अब तो राजों का

गए राजे कहां वे और दरबानों पे क्या गुज़री


यह कैसा दौर आया है फक़त भगवान मिलते हैं

करो मालूम उन से तुम भी भगवानों पे क्या गुज़री


यों तो राजे थे, छानी ख़ाक जंगल की न मानी हार

यहां भी प्रताप जैसे उन महारानों पे क्या गुज़री !


वे लटके फांसी के तख़्तों पर हुए कुर्बान हँस-हँस कर

वतन के प्यार की मस्ती में मस्तानों पे क्या गुज़री


कभी तो नाम था उन का गिने जाते थे अच्छों में

मेरे हिन्दोस्ताँ, उफ़ तेरी सन्तानों पे क्या गुज़री


ग़रीबों पर हैं ढाए जुल्म धनवानों ने ऐ 'नादार'

बता तो जुल्म ढाने वाले धनवानों पे क्या गुज़री


- रामदास 'नादार'

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