विशेषण का नवाचार (कविता) : नीरू सिंह

Dr. Mulla Adam Ali
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 विशेषण का नवाचार

पहचानो संज्ञा है कैसी या कितनी

वही तो कहलाती विशेषण प्यारी

विशेषण के होते चार भाग :

पहला - गुणवाचक 

“रूप, रंग, आकार- प्रकार, स्वाद से पहचाने जिसको

गुणवाचक वही कहलाया… जैसे देखो सुन्दर फूल, मीठी खीर,लम्बा लड़का, मेरी लाला टोपी।

दूसरा - परिमाणवाचक

किलो, लीटर, मीटर आए जहाँ बस परिमाणवाचक जानो उसको…. माँ लाई दो लीटर तेल, पापा लाए चार मीटर कपड़ा, मुझे मिला दो किलो सेव….।

तीसरा -संख्यावाचक

गिन सको जिसको कम हो या ज्यादा

वो कहलाया संख्यावाचक…. जैसे -मैं रोज दो गिलास दूधपीता हूँ, सड़क पर दौड़ी चार गाड़ी, मैदान में खेल रहें बहुत सारे बच्चे...।

और अंत में आता यार 

चौथा - सर्वनामिक

ज़ब संज्ञा की तरफ इशारा करे सर्वनाम

जानो उसको सर्वनामिक। देखो जैसे - वह घर मेरा है। यह गाड़ी तुम्हारी है।

नीरू सिंह

हिंदी शिक्षिका,
माउंट लीटरा जी स्कूल,

पश्चिम बंगाल

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