🌵🌵 कैक्टसनुमा रिश्तें 🌵🌵
अब हमारे आंगन में
तुलसी नहीं होती
क्योंकि,
अब हमारे पास
आंगन ही नहीं है
अब हमारे पास
बरामदा और बालकनी हैं
जिसमें हमने
कैक्टस लगा रखे हैं
और ये कैक्टस
सिर्फ हमारे
बरामदा या बालकनी
में नहीं है
ये कैक्टस हमारे
रिश्तों में भी
चुभन पैदा करने
लगा है
और अब तो
रिश्ते ही
कैक्टस बन गये है
और हां,
मैं बता दूं
इन कैक्टसनुमा रिश्तों की
चुभन ने
रिश्तों को
खत्म कर दिया है
आंगन तो पहले ही नहीं था
अब बरामदा और बालकनी भी
खत्म हो गया।
स्तुति राय
शोधार्थी (एमफिल)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी
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