🥀 काश.! 🥀
काश ! मैं इस दुनिया की
भीड़ से दूर
किसी निर्जन एकांत में
बिल्कुल शांत
बहती हुई
एक निर्झर होती
या बहुत दूर
किसी पहाड़ी पर
खड़ा एक पेड़
जो फूलों से लदा
मुस्कुरा रहा हो
या इस कोलाहल से
बहुत दूर
किसी घने जंगल में
किसी दरख़्त पर
बैठी एक चिड़िया
जो उस पेड़ के लिए
गीत गा रही हो
या एक बादल का
टुकड़ा
जो अपनी बहुत
छोटी सी आयु में
धरती की प्यास बुझा
उसे स्पंदित कर
स्वयं को मिटा
देता है।
स्तुति राय
शोधार्थी (एमफिल)
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी
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