प्रीती अमित गुप्ता की कविता : कितनी निश्चल है, नारी

Dr. Mulla Adam Ali
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प्रीती अमित गुप्ता की कविता

🧍‍♀️कितनी निश्चल है, नारी🧍‍♀️

दो तरह की नारी ही

हर समाज को प्यारी

या तो पार्वती सी सती

या तो सावित्री सी हो

एक जो पति के लिए

अग्नि में सती हो गई

दूजी पति के प्राणों को

यमराज से मांग लाई

माता अंशुईया भी तो

जिनके सतित्व ने तो

बड़ा चमत्कार ही किया

सृष्टि के रचयिता हो

या फिर हो पालनहार

कि समक्ष संहारकर्ता हो

सभी ज्ञानी और गुणी

खेल रहे थे पालने में

माता सीता भी तो

जिनके निकट रह भी

रावण स्पर्श न कर सका

ये नाम ही ऐसे 

जो नारी को सदा ही

 सम्मान दर्शाते हैं

कितनी निश्चल है, नारी

सदा ही बताते हैं।

प्रीती अमित गुप्ता

कानपुर (उत्तर प्रदेश)

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