राष्ट्रभाषा की महत्ता एवं हिंदी पर निबंध : Essay On Rashtrabhasha Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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राष्ट्रभाषा की महत्ता एवं हिंदी पर निबंध : Essay On Rashtrabhasha Hindi

मानव समाज में रहता है और समाज में रहने के कारण उसे समाज के अन्य व्यक्तियों के साथ अपने विचारों का आदान प्रदान करना पड़ता है। बिना विचार-विनिमय के उसके कार्य सुचारु रूप से नहीं चल सकते। मानव सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, उसने अपने विचारों और भावों को अभिव्यक्त करने के लिए भाषा का विकास किया है। श्री शैलेश मटियानी की मान्यता है कि “bhasha ke boote hi aadmi is bhautik jagat ka ek maatr naamdhaari hai."

राष्ट्रभाषा हिंदी:-

किसी भी देश के अधिकतर निवासियों द्वारा बोली एवं समझी जाती है, वह राष्ट्रभाषा कहलाती है। प्रत्येक राष्ट्र की कोई न कोई राष्ट्रभाषा अवश्य होती है, भाषा ही है जो सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधकर रखती है। उनमें राष्ट्रीयता का भाव जागृत करती है। हमारे देश भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है जो भारत के अधिकतर राज्यों के प्रजा के द्वारा बोली एवं समझी जाती है।

राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन दौरान राष्ट्रीय नेताओं ने अपने भाषणों में हिन्दी का प्रयोग किया, जिसके कारण हिन्दी ने व्यापक रूप से जन सम्पर्क भाषा का रूप धारण कर किया। भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ। 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान ने हिन्दी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी है। इस प्रकार हिन्दी भारत संघ की राजभाषा के साथ-साथ अनेक राज्यों की राजभाषा तो है ही, साथ ही संपर्क भाषा के रूप में भी इसका प्रयोग देश के लगभग सभी क्षेत्रों में होता है। हिन्दी संपर्क भाषा के रूप में न केवल भारत में विकसित हो रही हैं, बल्कि विदेशों में भी बहुतायत में पढ़ी जा रही है।

Hindi Bhasha ke sandarbh mein Bharatendu Harishchandra (भारतेंदु हरिश्चन्द्र) kahate hai-

“nij bhaasha unnati ahai, sab unnati mool.

bin nij bhaasha-gyaan ke, mitat na hiy ko shool..

vividh kala shiksha amit, gyaan anek prakaar.

sab desan se lai karahu, bhaasha maahee prachaar..

शब्दार्थ:-

निज यानी अपनी मूल भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी हमारी मूल भाषा ही सभी उन्नतियों का मूलाधार है। मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नही है। हमें विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान सभी देशों से जरूर लेना चाहिए, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहिए।

राष्ट्रभाषा का महत्व:-

• हिन्दी शब्द उत्पत्ति संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुई है, सिन्धु नदी के क्षेत्र में आने कारण ईरानी लोग सिन्धु न कहकर हिन्दू कहने लगे जिसके कारण यहाँ के लोग हिंद, हिन्दू और हिन्दुस्तान कहने लगे।

• हिन्दी भाषा का शब्दकोश बहुत ही बड़ा हैं, हिन्दी भाषा में अपनी किसी भी एक भावना को व्यक्त करने के लिए अनेक शब्द है जो की अन्य भाषाओं की तुलना में अपने आप में निराली है।

• हिन्दी वर्णमाला दुनिया की सर्वाधिक व्यवस्थित वर्णमाला है।

• हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हैं।

• हिन्दी सबसे सरल और लचीली-(flexible) भाषा हैं।

• हिन्दी एक सुसंपन्न, एक विश्व भाषा के रूप में अपने आपको स्थापित कर चुकी है।

• हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रसारित तथा संयुक्त राष्ट्रसंघ की अधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दिलाने हेतु 10 जनवरी 1975 को नागपुर में प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित किया गया है। अभी तक 9 विश्व हिन्दी सम्मेलन विभिन्न देशों में आयोजित हो चुके है।

• हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, वर्धा, नागरी प्रचारणी सभा, वाराणसी एवं केंद्रीय सचिवालय परिषद, दिल्ली के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार तथा अधिवेशन कर हिन्दी में कार्य कर रहे हैं।

• हिन्दी ज्ञान-विज्ञान, वाणिज्य-व्यापार, प्रशासन और रोजगार की भाषा बनती जा रही है, यह अत्यंत समृद्ध, विकासशील भाषा है।

• बैंक, मीडिया, फ़िल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में हिन्दी की उपयोगिता दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं।

• हिन्दी भाषा इन्टरनेट की दुनिया में इतनी तेजी से बढ़ा हैं की इन्टरनेट पर लाखों सजाल (Website), चिट्ठे (Blogs), गपशप (Chats), विपत्र (Email), वेबखोज (Search Engine), मोबाइल संदेश (SMS) अनेक प्रकार के मोबाइल एप्प मौजूद है।

•  हिन्दी ही हमारी राष्ट्रीय अस्मिता हैं, पहचान हैं।

हिन्दी से अपना भविष्य निर्माण करने वालों के लिए

www.rajbhasha.nic.in

www.ibps.in

www.ildc.gov.in

www.bhashaindia.com

www.ssc.nic.in

www.parliamentofindia.nic.in

www.kshindia.org

www.hindinideshalaya.nic.in

आदि वेबसाइट सेवा में तत्पर हैं।

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर महापुरुषों के कुछ लोकप्रिय श्रेष्ठ विचार :-

• “Akbar se lekar Aurangzeb tak mugalon ne jis desh bhasha ka swagat kiya vah Braj Bhasha thee.“ - Ramchandra Shukla

• “Rastriya ekta ki kadi hindi jod sakati hain.“ - Bal Krishna Sharma Naveen

• “Bharat ke paramparaagat Rastra bhasha hindi hain.“ - Nalin Vilochan Sharma

• “Hindi ko rastra bhasha banaane mein praanteey bhashaon ko haani nahin varna laabh hoga.“ – M. A. Ayyangar

• “Hindi ka bhavishy ujval hain, ismen koi sandeh nahin.“ - Anant Gopal Shevade

• “Hindi Sanskrit kee betiyon mein sabase achchhe aur shiromani hain.“ – Grierson

• “hindi vah bhasha hai jo maatu bhasha roopee phool pirokar bharat maata ke liye sundar haar ka srijan karegee.“ – Dr. Zakir Husain

      हिन्दी सरल और सुबोध भाषा हैं। यह एक वैज्ञानिक भाषा है। इसमें जो बोला जाता है वही लिखा जाता है। इसका साहित्य समृद्ध है। हिन्दी ही हमारी राष्ट्रीय अस्मिता है, पहचान है।

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