हिंदी बाल कविता : चिंकी जासूस - अशोक श्रीवास्तव कुमुद

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Bal Kavita "Chinki Jasoos" by Ashok Srivastava "Kumud"

आज कविता कोश में आपके समक्ष प्रस्तुत है अशोक श्रीवास्तव "कुमुद" जी द्वारा रचित बाल कविता "चिंकी जासूस"। पढ़े और आनंद लें।

चिंकी जासूस

(बच्चों के लिए रचना)


छोटी चिंकी थी फंटूश,

सतर्क सदा हो न मायूस,

अजनबियों पर रखती ध्यान, 

दिखता जब कोई मनहूस। 


पास-पड़ोसी थे कंजूस,

भरे तिजोरी मख्खीचूस, 

चोरों ने जब देखा माल,

चोर ले गये उनको मूस।


ठंडी रात महीना पूस,

देखी चिंकी चोर खड़ूस,

चिंकी पीछे आगे चोर,

चोर न कर पाये महसूस। 


चिंकी देखी चोर का घर,

डायल पुलिस को किया निडर,

पुलिस आ गई भागम-भाग,

घेर लिया फिर चोर का घर।


पकड़ गये सब चोर खड़ूस,

पुलिस निकाली चोर जलूस, 

हर तरफ बस एक ही शोर, 

सजग सदा चिंकी जासूस।

अशोक श्रीवास्तव "कुमुद"

राजरूपपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद)

मूसना: चुराना, ठगना

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