Poetry for Childrens "Jalebi aur Mr. Mandola" by Ashok Srivastava "Kumud"
Jalebi aur Mr. Mandola
कविता कोश में आज आपके समक्ष प्रस्तुत है अशोक श्रीवास्तव कुमुद जी द्वारा बच्चों के लिए रचित रचना "जलेबी और मिस्टर मैंडोला"। पढ़े और आनंद लें।
जलेबी और मिस्टर मैंडोला
घूम रहे हलवाई टोला,
चकित हुए मिस्टर मैंडोला,
लगे जलेबी भूलभुलैय्या,
पूछें गोले में क्यों गोला।
कैसे अंदर से ये पोला,
अंदर कैसे रस को घोला,
क्या है इसका गोरखधंधा,
हमें बताओ मिस्टर भोला।
भोला धीमे से मुस्काया,
लोक ज्ञान की छटा दिखाया,
भोला बोला श्री मैंडोला,
तकनीकी से इसे बनाया।
गूढ़ प्रक्रिया को अपनाया,
साँचे में इसको ढलवाया,
तरह तरह से काट छांट कर,
पम्पो से फिर रस भरवाया।
मैंडोला अब सर खुजलाये,
बात गूढ़ ये समझ न पाये,
नतमस्तक हो भोला सम्मुख,
सर भोला कह नहीं अघाये।
अशोक श्रीवास्तव "कुमुद"
राजरूपपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद)
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