Childrens Poem Bhool Hui : हिंदी बाल कविता भूल हुई

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Bal Kavita "Bhool Hui" by Dr. Faheem Ahmad

कविता कोश में आज आपके समक्ष डॉ. फहीम अहमद की हिंदी बाल कविता "भूल हुई" पढ़े और शेयर करें।

बाल कविता

भूल हुई

कान पकड़कर मांगूँ माफ़ी

दादी अम्मा,भूल हुई।


चश्मा कहीं छिपाकर मैंने

थोड़ी करी शरारत।

रहीं ढूंढती यहाँ - वहाँ तुम

मैं हो गया नदारद।


मान रहा मैं, मुझसे ही यह

हरकत ऊल जलूल हुई।


छोड़ो भी अब रूठा रूठी

गुस्सा अपना थूको।

देती हो क्यों बड़ी सज़ा तुम

इस नन्हे मुन्नू को।


समझ गया जो मैंने की थी

गलती मुझे कबूल हुई।


पान चबाए देर हुई है

लो ,अब कर लो कुल्ला।

देखो दादी, मैं लाया हूँ

मनपसंद रसगुल्ला।


दादी, तुम्हें मनाने की हर  

कोशिश आज फजूल हुई।

डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, हिंदी विभाग,
महात्मा गांधी मेमोरियल पी.जी.कालेज,
सम्भल 244302 (उ.प्र.)
मोबाइल 8896340824
Email drfaheem807@gmail.com

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