Hindi Kavita : एक शहर बसाया हिंदी कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Stuti Rai Hindi Poetry : Ek Shahar Basaya

एक शहर बसाया

दिल में

एक शहर बसाया 

और शहर बसते हीं

एक शोर शुरू हो गया

तपती सड़कें

आग उगलती गाड़ियां

शोर मचाता ट्रैफिक

ना ही कोई पेड़ है

ना कोई नदी

बस भागते हुए लोग हैं

लिपे - पूते चेहरे पर

ज़बरदस्ती की रौनक

लाए हुए, 

हंस और मुस्कुरा रहें हैं

जैसे खुद पर एक

एहसान कर रहें हों ,

नज़रें हर व्यक्ति को

तौल रहीं हैं

फायदे के कायदे

गिन रहीं हैं,

इन सब से

मैं बेतरतीब हों चुकी हूं

और अब समझ आया

शहर कहीं भी हों

वो सुकून नहीं बन सकता।

स्तुति राय

शोध छात्रा,
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
वाराणसी

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