Crocodile and Tortoise Story in Hindi: कछुआ और मगरमच्छ की कहानी

Dr. Mulla Adam Ali
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Best Short Story in Hindi : Magarmacch aur Kachhua ki kahani

Magarmacch aur Kachhua ki kahani

Crocodile and Tortoise Story in Hindi: हिंदी कहानी में आज आपके लिए खासकर बच्चों के लिए बद्री प्रसाद वर्मा 'अनजान' द्वारा लिखी गई हिंदी कहानी "मगरमच्छ और कछुआ", पढ़े और शेयर करें।

मगरमच्छ और कछुआ 

बद्री प्रसाद वर्मा 'अनजान'

इस साल सरयू नदी में भयानक बाढ़ आई हुई थी। बहुत सारे गांव पानी में डूबे हुए थे। 

 सड़क पर दो से तीन फुट तक पानी आ गया था। 

चारो तरफ बाढ़ का सैलाब बहुत आफत ढा रहा था। 

बहुत सारे गांव के लोग अपने घर के छत पर शरण ले राख था। 

     नदी में एक कछुआ और एक मगरमच्छ रहते थे। बाढ़ के पानी में उनका घर टूट कर बह गया था। 

    कछुआ अपने मित्र मगरमच्छ से बोला मगरमच्छ भाई अगर बाढ का पानी इसी तरह रोज बढ़ता रहा तो हम दोनों पानी के तेज बहाव में बहुत दूर चले जाएंगे 

क्या ही अच्छा होता अगर हम दोनों कहीं ऊंचे सुनसान जगह पर चले जाते तो बाढ़ में बहने से बच जाएंगे।

    "हां, तुम ठीक कह रहे हो कछुआ भाई हमें सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिए। जब बाढ़ का पानी हट जाएगा तब हम वापस नदी में आ जाएंगे। 

मगरमच्छ और कछुआ सुरक्षित जगह की तलास में एक साथ निकल पड़े नदी से कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पहाड़ था, पहाड़ के उपर पहुंच कर कछुआ और मगरमच्छ एक साथ रहने लगे। 

उसी पहाड़ पर एक बंदर भी रहता था। 

एक रोज बंदर कछुआ और मगरमच्छ से पूछ पड़ा तुम दोनों यहां किस लिए आए हो ?"

मगरमच्छ बोला नदी में बाढ़ आई हुई है इसलिए हमें जान बचाने के लिए यहां आना पड़ा। बाढ़ हटते ही हम दोनों वापस नदी में चले जाएंगे। 

"नहीं नहीं, तुम दोनों यहां नहीं रह सकते हो क्या पता हमें मार कर खा जाओ! 

बंदर भाई हम किसी की जान लेने नहीं आए हैं बल्की अपनी जान बचाने के लिए यहां आए हैं। हमारी बात पर तुम विश्वास करो। 

कुछ दिनों में बंदर भी कछुआ और खरगोश का मित्र बन गया। 

सभी एक साथ रहने लगे।

 कुछ दिनों के बाद कछुआ अपने मित्र मगरमच्छ से बोला यार अब हमें यहां रहने की कोई जरुरत नहीं है बाढ़ का पानी हट गया है चलो हम वापस नदी में चलते हैं। 

कछुआ और मगरमच्छ बंदर से इजाजत ले कर जाने लगे। कुछ ही देर में कछुआ और मगरमच्छ बंदर की आंखों से ओझल हो गए। 

वापस नदी में पहुंच कर कछुआ और मगरमच्छ फिर खुशी खुशी एक दूसरे के साथ रहने लगे। 

- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान

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