Hindi Kavita Jhoothi Muskan : झूठी मुस्कान

Dr. Mulla Adam Ali
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Jhoothi Muskan Hindi Poetry by Nidhi Mansingh : Hindi Kavita Jhoothi Muskan

Jhoothi Muskan Hindi Poetry by Nidhi Mansingh

हिंदी कविता: कविता कोश में आज आपके लिए प्रस्तुत है निधि 'मानसिंह' की कविता "झूठी मुस्कान", पढ़े और शेयर करें।

झूठी मुस्कान

मां की कही वो बात,

मैं आज भी नही भूल पाई।

कि लडकियों को ज्यादा,

बोलना या हंसना नही चाहिए।

उसे पराए घर जाना हैं

सास-ससुर की सेवा करनी है

और पत्नी धर्म भी निभाना है।

पति के दिल मे अगर रहना है,

तो उसके पेट से होकर

जाना होगा।

भले ही गमों का समंदर हो दिल में

पर चेहरे से मुस्कुराना होगा।

बस! फिर हमने भी सीख ली

बनानी रसोई।

और ओढ ली चेहरे पर झूठी

चादर की लोई।

लेकिन! आज भी कभी-कभी

सोचती हूं।

कि कभी कोई मां अपने बेटे को

क्यों? नही सिखाती है।

एक स्त्री के दिल का रास्ता

कहां? से होकर जाता है

उसे क्यों नहीं बतलाती है?

जब बेटा - बेटी दोनों समान है

तो ये परम्परा बेटियों पर ही,

क्यों थोपी जाती है?

- निधि 'मानसिंह'
कैथल, हरियाणा
nidhisinghiitr@gmail.com

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