Diwali Par Kavita Deepawali Ki Shubhkamnaye
Deepavali Kavita
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Happy Deepawali Poem on Diwali in Hindi : Diwali Ki Shubhkamnaye Kavita - कविता
दिवाली की शुभकामनाएं
दीपावली की शुभकामनाएँ
मन के आगने को दमकाएँ
आओ, दीपावली मनाएँ।
भरा हुआ अज्ञान तिमिर जो,
दूरों इसका छोर नहीं है।
इसके कारण जीवन धरती पर
होती सुख की भोर नहीं है।
उसका अंत जल्द करें हम
ज्ञान ज्योति के दीप जलाएँ।
एक दीप से हजारों दीप,
जलते यह देखें ओ प्राण।
द्वेष, क्लेश का दूर भगाएँ,
शक्ति एकता की पहचानें।
हर उर के सूखे मरुथल में
नेह भरा अमृत छलकाएँ।
प्रेम प्रीति की आतिशबाजी,
छोड़, देखे संसार सारी।
सारे विश्व से अदभुत न्यारी,
होते दीपमालाएँ हमारी।
मीठी बोली के रसगुल्ले,
मिल-जुल खाएँ, धूम मचाएँ।
- अशोक कुमार शेरी
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