Dohe of Rajendra Verma : राजेन्द्र वर्मा जी के दोहे

Dr. Mulla Adam Ali
0

Dohe of Rajendra Verma : राजेन्द्र वर्मा जी के दोहे हिंदी में

dohe of rajendra verma in hindi

Rajendra Verma Ke Dohe : राजेन्द्र वर्मा जी द्वारा स्वरचित दोहे आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है, पढ़िए और प्रतिक्रिया दीजिए।

राजेन्द्र वर्मा के दोहे हिन्दी में : Hindi Dohe

1

उनका ही टी.वी. हुआ, उनका ही अख़बार।

अब ख़बरें वे ही चलें, जो चाहें सरकार॥

2

ऐसा आया है समय, अचरच में हैं सार्थ।

तत्त्वज्ञान के बाद भी, मोहग्रस्त हैं पार्थ॥

3

ऐसा जंगलराज है, मची हुई है लूट। 

शाह-लुटेरों में हुईं, नित संधियाँ अटूट॥

4

उद्योगों से बढ़ रही, गो कि देश की शान। 

नदी-नदी दूषित हुई, पशु-पक्षी हैरान॥

5

औने-पौने बिक रही, निर्धन की श्रमशक्ति। 

धनिक साधने में लगा, धन-देवी की भक्ति॥

6

औरों का हक़ छीनकर, जो भी बनें महान।

उनके ही घर में पलें, भाग्य और भगवान॥

7

कठिन तपस्या से मिला, हमको ऐसा राज।

कुछ को छप्पन भोग तो, कुछ को सड़ा अनाज॥

8

कहने को कहला रही, जनता की सरकार। 

रीति-नीति में है मगर, जनता ही पर भार॥

9

कहने को जनतंत्र है, तंत्र मगर स्वच्छंद। 

जनगणमन की भावना, संविधान में बंद॥

- राजेन्द्र वर्मा

ये भी पढ़ें; डॉ. पुनीत बिसारिया जी द्वारा स्वरचित हिन्दी दोहे आप सभी के समक्ष

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top