15+ बच्चों के लिए लोकप्रिय बाल कविता हिंदी में | Famous Bal Kavita In Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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20 Bal Kavita in Hindi : डॉ. फहीम अहमद की 20 बाल कविताएँ

Bal Kavita in Hindi

Bal Kavita in Hindi : इस लेख में हमने बच्चों के लिए बहुत ही मजेदार और शिक्षाप्रद 15+ लोकप्रिय बाल कविताओं का अनोखा संग्रह हिंदी में आपके समक्ष साझा किया गया है। बच्चों की ये बाल कविताएं आपकी बचपन की याद दिलाती है। बच्चों की ये लोकप्रिय प्रसिद्ध कविताएं बच्चों के मनोविज्ञान के अनुरूप है।

यह बाल कविताएँ बच्चों के लिए सरल और रूचिकर हैं। जो बच्चो को नई-नई चीजे सिखने में मदद करती है और उनकी बौद्धिक ज्ञान को विकसित करती है।

आजकल अक्सर स्कूलों में बच्चों के लिए बच्चों की छोटी कविता पाठ का आयोजन होता हैं। उन बच्चों के लिए बाल कविताएं इस आर्टिकल में दी गई कविताओं से काफी मदद मिलेगी। तो चलिए दोस्तों पढ़ते है मजेदार बच्चों की बाल कविता, बच्चो की बाल कविताएं, शिक्षाप्रद बाल कविताएं।

उत्तरप्रदेश, संभाल के बाल साहित्यकार डॉ. फहीम अहमद की हिंदी बाल कविताएँ बच्चों के लिए सरल और रूचिकर हैं। बाल कविताएं बच्चों के लिए जो बच्चो को नई नई चीजे सिखने में मदद करती है। बाल गीत कविताएं, शिक्षाप्रद कविताएं, शिक्षाप्रद बाल कविता, हिन्दी की बाल कविताओं से बहुत सहायता मिलेगी। बच्चों के लिए कविताओं का संग्रह कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 और 10 के लिए मददगार साबित होगी।

अपने बच्चे के लिए सही कविता कैसे चुनें? Baccho Ke Liye Kavita : बच्चों के लिए सही कविताओं का चयन करते समय अभिभावाओं को इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चों को कविता सिखाने का मुख्य उद्देश्य यह होना चाहिए कि वह कविता उन बच्चों को समझ में आए, अच्छी लगे और उन कविताओं को सुनकर वे खुश हों। 

बच्चों के लिए बीस बाल कविताएँ : 1. ऊँट के मुँह में जीरा बाल कविता 2. जुगनू बाल कविता 3. जाड़े की धूप बाल कविता 4. ऐसा होता क्यों बाल कविता 5. सपनों की पतंग बाल कविता 6. अहा! जलेबी बाल कविता 7. फ्रूटचाट अलबेला बाल कविता 8. बिजूका बाल कविता 9. मम्मीजी बाल कविता 10. बोल गिलहरी बाल कविता 11. खिलखिलाती ककड़ियाँ बाल कविता 12. निराले गगन बाल कविता 13. ना बाबा ना बाल कविता 14. रिमझिम फुहार बाल कविता 15. चन्दा गया कहाँ बाल कविता 16. सुनो बिल्ली बाल कविता 17. नन्हीं शिकायत बाल कविता 18. शुतुरमुर्ग जी बाल कविता 19. किताब में बाल कविता 20. ट्रैफिक रूल बाल कविता बाल साहित्य के विषय पर बेहतरीन कविता Hindi Poems for Children पढ़े और साझा करें Famous Bal Kavita In Hindi...

20 Of The Best Famous Poems For Children : 20 Bal Kavitayen Hindi

Poem oont ke munh mein jeera : कविता ऊँट के मुँह में जीरा

1. ऊँट के मुँह में जीरा


बूट पहनकर टाई बाँधी

पहना प्यारा सूट।

चूहे के घर दावत खाने

सजधज पहुँचा ऊँट।


खाना देख बहुत पछताया

हुआ उसे अफसोस।

चूहे ने उसके आगे या

जीरा दिया परोस।


जुगनू पर कविता : Jugnoo Par Kavita - Poem on firefly

2. जुगनू


नन्हे मुन्ने बल्ब जलाए

जुगनू कहाँ चले।

अँधियारे में चम चम करते

लगते बड़े भले।


मेरे कमरे में आ जाओ

ले साथी अपने।

सोऊँ तो फिर लगूँ देखने

मैं झिलमिल सपने।


जाड़े की धूप पर कविता : Jade Ki Dhup Kavita

3. जाड़े की धूप


ठिठुर रहे तन को लगती है 

मखमल - सी जाड़े की धूप।

ठंडी हवा मारती चांटे

पहनो स्वेटर, दीदी डांटे

खूब कंपकंपी सर्दी बांटे।

धीरे से तब मन सहलाती

कोमल - सी जाड़े की धूप।

गाजर का हलवा मन भाए

मूंगफली सबको ललचाए

मक्खन अपने पास बुलाए।

कॉफी, गरम चाय पिलवाती

चंचल सी जाड़े की धूप।

लगती है ज्यों नन्ही बच्ची

खेले छत पे सीधी-सच्ची

धूप गुनगुनी लगती अच्छी।

नानी की गोदी व मां के

आंचल - सी जाड़े की धूप।


ऐसा होता क्यों कविता : Aisa Hota Kyon Hai Kavita

4. ऐसा होता क्यों


अम्मा, जरा मुझे समझाओ

ऐसा होता क्यों?


तितली जैसे पंख लगाएं

हम सब झूमें नाचें, गाएं

मिलजुल सारे हंसें-हंसाएं

पर महरी का बेटा कलुवा

हरदम रोता क्यों?


खाता रूखा-सूखा चोकर

जगह-जगह पर लगती ठोकर

थके बहुत बोझा ढो-ढोकर

फिर भी गधा बली चाचा का

बोझा ढोता क्यों?


पेड़ हमें क्या-क्या न देते

पर बदले में कुछ न लेते

अपने गुण से बने चहेते

दादा ने जो पेड़ लगाए

काटे पोता क्यों?

सपनों की पतंग बाल कविता : Sapnon Ki Patang Kavita - Kite of Dreams Poem in Hindi

5. सपनों की पतंग


हंसती- गाती आई निंदिया

सपनों की उड़ चली पतंग।


उम्मीदों की डोर पकड़ कर

खुशियों का हर छोर पकड़ कर

परियों-सी इठलाती फिरती

मन में भरती नई उमंग।


नटखट नन्हे छौने जैसे

सपने नए खिलौने जैसे

तितली, बंदर, चंदा, तारे

सपनों की टोली के संग।


देखा एक एटीएम ऐसा

जिससे नहीं निकलता पैसा

अपने आप निकलती टॉफी

मन में उठती नई तरंग।


टॉफी लेकर उड़ा कबूतर

मैं भी उड़ा अरे ! झट ऊपर

उड़ कर पहुंचा आसमान में

कमरे में रह गया पलंग।


हिन्दी जलेबी कविता : Jalebi par Kavita Aha.! Jalebi

6. अहा! जलेबी


अहा! जलेबी, वाह! जलेबी।


गुल्लू, रानी, नाना-नानी

चुनमुन, रजिया, पिंकी, जॉनी

सबके मुंह में आता पानी।


झपट पड़े पाने की खातिर

सबके मन की चाह जलेबी।


चटनी के संग गरम समोसे

दही वड़े व इडली-डोसे

मेहमानों को गए परोसे।


लेकिन टिकीं सभी की नजरें

लेती मन की थाह जलेबी।


गुझिया, चमचम, बरफी, लड्डु

और नहीं कुछ लेता गुड्ड

कहता नहीं बनाओ बुद्धू।


उसके नन्हे मन की करती

है केवल परवाह जलेबी।


साथ दही का जब मिल जाए

स्वाद अनूठा मन को भाए

दिल गुलाब जैसा खिल जाए।


जो भी खाए उसे दिखाती

मीठी प्यारी राह जलेबी।


Fruit chaat Albela Kavita : फ्रूट चाट अलबेला कविता

7. फ्रूटचाट अलबेला


लेकर आया है जम्मू से

मेरा दोस्त शुएब।

बेहद खुशबूदार रसीले

मीठे मीठे सेब।


पूना वाली मौसी लाई

संतरे गोलमटोल।

खट्टे-मीठे और रसभरे,

लगते हैं अनमोल।


मियाँ इलाहाबादी लाए

मज़ेदार अमरूद।

लाल बुंदकियाँ वाला प्यारा

आज यहाँ मौजूद।


सोनीपत से लाए फूफा

केले खुशबूदार।

चित्तीदार बड़े अलबेले

देख टपकती लार।


बुआ लखनऊ वाली लाई

मलिहाबादी आम।

खूब रसीले, खुशबू वाले

दूर दूर तक नाम।


लगा हमारे घर में देखो

सभी फलों का मेला।

खाया सबने हिंदुस्तानी

फ्रूटचाट अलबेला।


हिन्दी बिजूका कविता :  Bijuka Kavita in Hindi 

8. बिजूका


है मुस्तैद सिपाही जैसा

बीच खेत में खड़ा बिजूका।


उल्टा मटका लगे खोपड़ी

एक बड़े डंडे पर लटका।

लम्बी मूँछ लगी रस्सी की

फटा पजामा नीचे अटका।


है नकली बन्दूक हाथ में

नहीं डराने में वह चूका।


उसको देख बिदकती भैंसें

नीलगाय, चिड़िया व बन्दर।

हिरन देखते हैरानी से

घुसते नहीं खेत के अंदर।


करे हिफाजत नहीं उसे डर

सरदी, बारिश गरमी-लू का।


अपना फर्ज निभाता दिन भर

कभी रास्ते से न भटके।

रात और दिन उसके कारण

कोई जानवर पास न फटके।


नहीं चाहिए खाना-पानी

रह लेता वह प्यासा - भूखा।


Poem about Mother in Hindi : Mummy Ji Par Kavita in Hindi - माँ पर कविता मम्मी जी

9. मम्मीजी !


होम मिनिस्टर हैं मम्मी जी

मगर किसी ने दिया न वोट।


चाहे सुबह हो या फिर शाम,

करती रहती सारा काम,

सबको खुश रखने की खातिर

पल भर न करती आराम।


दुःख सहकर मुस्काती मम्मी

दिल में सह जाती हर चोट।...


चाय-नाश्ता झट तैयार,

कपड़े - जूते रखें सँवार,

दो हाथों से करती इतना

जैसे उनके हाथ हजार।


बुरा लगेगा, अगर निकाले

फिर भी उनमें कोई खोट।....


चलो बँटाएँ उनका हाथ,

थोड़ा-थोड़ा सब दें साथ,

छोड़ चिड़चिड़ापन, मुस्काएँ

दो पल उनसे कर लें बात।


बैठें जब टीवी के आगे

दे दें झटपट उन्हें रिमोट।।....

बच्चों के लिए प्यारे प्यारे गिलहरी पर कविता बोल गिलहरी : Poem on squirrel - Gilahari Kavita

10. बोल गिलहरी


भाते मुझको तेरी चीं-चीं

के ये मीठे बोल

बोल गिलहरी बोल

आंखें तेरी मोती जैसी

चमकदार हैं सुंदर

कई धारियां काली काली

खूब सजी हैं तन पर

पूंछ उठा कर तू घुंघराली

आ आंगन में डोल

डोल गिलहरी डोल

बोल अरी तू क्या खायेगी 

टॉफी मिसरी बिस्कुट

मूंगफली के दाने दे दूं

यहीं कुतरना कुटकुट

जो भी मैं दूं खा लेना तुम

नन्हा सा मुंह खोल

खोल गिलहरी खोल।


Poem on cucumber in Hindi : खिलखिलाती ककड़ियाँ कविता

11. खिलखिलाती ककड़ियाँ


चिलचिलाती धूप में भी

खिलखिलाती ककड़ियाँ।


रंग जब मौसम बदलता

सूर्य अंगारे उगलता

देख ककड़ी मन मचलता


प्यास से सूखे गला जब

तो लुभाती ककड़ियाँ।


हैं नरम कितनी हरी ये

लग रही हैं छरहरी ये

गागरी हैं जल भरी ये


देके नरमी दूर गरमी

को भगाती ककड़ियाँ।


चाहते जो स्वाद पाना

तो नमक के साथ खाना

ये तरावट का खजाना


इस खजाने को सभी पर

हैं लुटाती ककड़ियाँ।


Bal Kavita Nirale Gagan : निराले गगन बाल कविता 

12. निराले गगन


ओ निराले गगन

भोले भाले गगन

साथ मिल गीत यह

गुनगुना ले गगन।


मुस्करा दे जरा

तो मुझे सुख मिले

खिलखिलाऊँ हँसू

तो मेरा दिल खिले।


कोई किस्सा सुना

जो हो तुझने बुना

इस तरह दिल सभी के

चुरा ले गगन।


बॉल जैसा यह सूरज

सलोना लगे।

चाँद तारों का झुरमुट

खिलौना लगे।


बादलों से लड़ू 

खूब ऊँचे चहूँ

अपने आँगन में मुझको

बुला ले गगन।


काली काली घटा

गुनगुनाने लगी।

इंद्रधनुषी छटा

झिलमिलाने लगी।


मत गिरा बिजलियाँ

खोल दे खिड़कियाँ

भेज बादल सभी की

दुआ ले गगन।।

Bal Kavita Na Baba Na : ना बाबा ना हिंदी कविता

13. ना बाबा ना


बात बात पर गाल फुलाना

ना बाबा ना।


मम्मी जो भी दें थाली में

उसे शौक से खाऊँ मैं।

दें गिलास भर दूध गटागट

फिर उसको पी जाऊँ मैं।


सौ सौ नखरेबाज़ी करना

खाने में भी मुँह बिचकाना

ना बाबा ना।


दादी कहतीं शोर करो मत,

सिर में होता दर्द बहुत।

बन्द करो खिड़की दरवाज़े

मौसम भी है सर्द बहुत।


फिर भी धमाचौकड़ी करना

ऊधमबाजी खूब मचाना

ना बाबा ना।


साथ हमारे जब भी खेले

मेरी नन्ही बहना गुड़िया।

मैं भी उसको खूब हँसाऊं

खोल चुटकुलों की पुड़िया।


हँसी रोककर, खुशी छीनकर

उसे सताना और रुलाना

ना बाबा ना।।


Rimjhim Fuhar Bal Kavita : रिमझिम फुहार कविता

14. रिमझिम फुहार


रिमझिम ऐसी पड़ी फुहार।

धरती पे आ गई बहार।।


बादल रिमझिम खूब बरसते,

झूम झूम के पौधे हँसते,

मानो झुक झुक करें नमस्ते।

बाँट रहीं बूँदें धरती को,

हरियाली के नव उपहार।


बच्चे खेल रहे छपछैया,

तैराते कागज की नैया,

भरे लबालब ताल तलैया।

टर्र-टर्र फिर राग अलापे,

मेढक चाचा का परिवार।


लुभा रहे जामुन के गुच्छे,

आम रसीले लगते अच्छे,

झूम-झूम कर खाते बच्चे।

भीग - भाग जब आते हैं घर,

तो भुट्टे करते सत्कार।


बूँदों के संग चलें हवाएँ,

और खिड़कियाँ भी खुल जाएँ,

खूब फुहारें अंदर आएँ।

गालों को ऐसे सहलाएँ,

ज्यों माँ की मीठी पुचकार।


Poem on Moon in Hindi : Chanda Mama Poem In Hindi - चंदा मामा पर कविताएँ

15. चन्दा गया कहाँ?


अभी- अभी हँस रहा वहाँ था

अम्मा, चन्दा गया कहाँ?


अम्मा बोली, देखो नभ में

फिरते हैं बादल बनजारे

काले बादल ने भालू बन

छिपा लिया तेरा चंदा रे


चंदा की थाली में रक्खा 

भालू चाटे शहद वहाँ


भागा झल्लर मल्लर भालू

हँसती आई परी अनूठी

गीत सुना कर दूर कर रही

चन्दा की सब रूठा रूठी


उसकी गोदी में छिप सोया

देखो है क्या खूब समां


देख डाइनासोर अचानक

भागी परी, चाँद घबराया

तेज हवा ने एक फूँक में

उसको फौरन मार भगाया


चंदा बोला, हवा बहन रुक

आ हम खेलें साथ यहाँ


बिल्ली पर कविता : Cat Poem in Hindi - Suno Billi Kavita

16. सुनो बिल्ली


सुनो बिल्ली, कहो बिल्ली,

अकड़ कैसे हुई ढिल्ली।

बघारी खूब शेखी आज,

तुमने मुँह की खाई है।

चिढ़ा के भाग ली चुहिया,

न तेरे हाथ आई है।

पकड़ पाई न तुम उसको,

उड़ाते हैं सभी खिल्ली।

रहे जो नाक पे गुस्सा,

भला यह बात है कोई?

चलो अब खिलखिलाओ तो,

कहाँ किस ख्बाब में खोई

करे गुस्से को जो ठंडा

मंगा दूँ वह बरफ सिल्ली

मिला न दूध तो पी लो

जरा दो घूँट पानी तुम

बड़े बदमाश चूहों की

सुनो मुझसे कहानी तुम।

कहीं फिर से कोई चूहा

न कर जाए टिली लिल्ली।


Nanhi Shikayat kavita Hindi : नन्हीं शिकायत कविता

17. नन्हीं शिकायत


मोबाइल में बिजी हैं पापा

लेपटॉप में मम्मी जी।

बात करेंगे कब वे मुझसे

आकर लेंगे चुम्मी जी।


खाना लगा दिया मम्मी ने

नहीं अकेला खाऊं में।

कैसा तुम्हें लगेगा पापा

गर यूं ही सो जाऊं मैं।


पापा मुझसे बात करो न

बातें कई बतानी हैं

मेरे प्यारे साथी कितने

सबकी कथा सुनानी है।


किस्से कई पाठशाला के

टीचर जी की बातें हैं।

मन में उठते कई सवालों

की लम्बी बारातें हैं।


आगे-पीछे घूमूं कब तक

मम्मी, समय निकालो न।

मुझको केवल प्यार चाहिए

नजर इधर भी डालो न।


पापा-मम्मी बोलो न अब

फैलाओ अपनी बांहें।

मेरा नन्हा दिल देखेगा

आप मुझे कितना चाहें।

Poem on Ostrich : Shuturmurg Ji Kavita - हिन्दी शुतुरमुर्ग कविता

18. शुतुरमुर्ग जी


शुतुरमुर्ग ओ शुतुरमुर्ग जी,

तुम लंबे कितने।

अजी तुम्हारे आगे हम सब,

लगते हैं ठिगने।

पंख तुम्हारे मखमल जैसे,

इसके क्या कहने।

लगता जैसे नरम रुई का,

स्वेटर तुम पहने।

क्या खाते हो जिससे इतने,

हो लंबे-मोठे।

हमें बताओ हम भी खाएं,

रहें नहीं छोटे 


Poem on Books in Hindi : किताबों पर कविता किताब में - Kitab Kavita

19. किताब में


तरह तरह की रोचक बातें

मैंने पढ़ीं किताब में।


गांधी जी ने प्रेम, अहिंसा,

मानवता का पाठ पढ़ाया।

बच्चों को चाचा नेहरू ने,

हँसकर अपने गले लगाया।


सारे जग की खुशबू उनको

मिलती रही गुलाब में।


ग्राहम बेल ने फोन बनाकर

ध्वनियाँ दूर-दूर पहुँचाईं।

एडिसन ने जब बल्ब जलाया,

अन्धकार की शामत आई।


आर्यभट्ट ने दिया दशमलव

शामिल हुआ हिसाब में।


एक अलग दुनिया देखें हम

जब किताब को पढ़ते हैं।

शब्द - शब्द से अपना सुंदर

जीवन भी हम गढ़ते हैं।


पढ़ किताब हम खो जाते हैं

खुशियों वाले ख्वाब में।


बाल कविता ट्रैफिक रूल : Traffic Rule Hindi Kavita

20. ट्रैफिक रूल


चुहिया रानी के कहने पर,

चूहे जी ले आए कार।

चूहा घुसा कार के अंदर,

चुहिया भी हो गई सवार।

चूहे ने पकड़ी स्टीयरिंग,

मगर हो गई उससे भूल।

सीट बेल्ट न बांधी उसने,

चल दी कार उड़ाती धूल।

ट्रैफिक हवलदार ने रोका,

काट दिया उसका चालान।

भर जुर्माना चूहे जी ने,

फौरन पकड़े अपने कान।

बोले- अब आगे से मुझसे,

कभी न होगी ऐसी भूल।

आज मुझे जाने दें अब मैं,

मानूंगा हर ट्रैफिक रूल 


- डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,

संभल, उत्तर प्रदेश

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