बच्चों की कविता : क्यों हो रूठे जी | Hindi Poem for Children

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Bal Kavita by Dr. Faheem Ahmad

Hindi Poem for Children

Hindi Children's Poetry : फहीम अहमद की हिंदी बाल कविता बच्चों के लिए "क्यों हो रूठे जी?", Hindi Bal Kavita "Kyu Ho Ruthe Ji", Hindi Bal Geet...

क्यों हो रूठे जी?


मम्मी, पापा, भैया से तुम,

क्यों हो रूठे जी।


गाल फुलाए बैठे कब से,

आंसू आंखों में।

क्या रखा है मुंह लटकाने,

वाली बातों में।


मान गए क्यों बुरा कहा

जो तुमको झूठे जी।


डॉट पिलाई मम्मी ने क्यों, 

पापा ने डांटा।

भैया ने भी तो बातों का, 

मारा था चांटा।


गुस्से का गुब्बारा, बोलो, 

कैसे फूटे जी।


छोटी-छोटी बातों पर क्यों,

होते हो गुस्सा।

तुम्हें सुनाएँ हंसी खुशी का,

मज़ेदार किस्सा।


भूल सभी कुछ हँसो जरा तो,

गुस्सा छूटे जी।

- डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,

संभल, उत्तर प्रदेश

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