गीत : ले चल रे मनवा उस द्वार | Le Chal Re Manav

Dr. Mulla Adam Ali
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Geet : Le Chal Re Manav Us Dwaar

Le Chal Re Manav Us Dwaar

गीत

ले चल रे मनवा उस द्वार

ले चल रे मनवा उस द्वार

जहाँ नहीं हो कोई विकार

हँसता मुस्काता हर पल हो

जहाँ हो अपनत्व और प्यार

ले चल रे मनवा उस द्वार।


हर कोपल में मर्यादा हो

डाल-डाल पर सत्य पला हो

हिंसा से दूर हर पौधा हो

जहाँ चले अहिंसा बायास

ले चल रे मनवा उस द्वार।


ना नदिया का पानी सूखे

ना बिन पानी मछली तड़पे 

ना कलियों को कोई कुचले

जहाँ कोई न हो अनाचार

ले चल रे मनवा उस द्वार


रिश्तों में न टूटन आये

पर-हित हर - हिय में जड़ जाये

कोई किसी को छल नहीं पाये

हो रिश्तों में स्नेह दुलार

ले चल रे मनवा उस द्वार।


कोयल सी मीठी हो बोली

प्रीत भरी हो सबकी झोली

सबको मिले रहने को खोली

जहाँ हो समता- -अधिकार

- जगदीश तिवारी

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