मक्कार बिल्ली बाल कविता : बाल काव्यसंग्रह नटखट चुनमुन से बच्चों के लिए रचना

Dr. Mulla Adam Ali
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Makkaar Billi Bal Kavita : Poem on Cat in Hindi

Makkaar Billi Bal Kavita

मक्कार बिल्ली बाल कविता : बाल काव्यसंग्रह नटखट चुनमुन से बच्चों के लिए रचना। अशोक श्रीवास्तव कुमुद का हिन्दी बाल काव्यसंग्रह 'नटखट चुनमुन' से बच्चों के लिए रचना मक्कार बिल्ली। राजरूपपुर, प्रयागराज से साहित्यकार अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद' की बाल कविता मक्कार बिल्ली। Children's Poem on Cat Makkaar Billi, Bal Kavita Makkaar Billi, Ashok Srivastava 'Kumud'Poem Makkaar Billi..

बाल काव्यसंग्रह 'नटखट चुनमुन' से बच्चों के लिए रचना

मक्कार बिल्ली


बिल्ली ने घर अपना बदला,

           फ्लैट लिया दमदार।

बनी पड़ोसन चूहों की वो,

              मोटे ताजे चार।।


सुबहो शाम दौड़ते देखे,

            सुन्दर चूहे चार।

मार झपट्टा खाऊं इनको,

         आए सदा विचार।।


पर बाहर थी बहुत सुरक्षा,

             दिन हो चाहे रात।

कहीं पकड़ ना जाऊं डरती,

            करूं अगर मैं घात।।


खिड़की से जब देखे बाहर,

            मुँह से टपके लार।

चूहे बहुत सयाने थे सब,

            रखते उससे खार।।


बिल्ली बोली मित्र दिवस को,

                 खुला हुआ है द्वार।

करो मित्रता छोड़ो झगड़ा,

                घर आओ सब यार।।


शुद्ध निरामिष भोजन मेरा,

             जब से हूँ बीमार। 

अब मुझसे क्या डरना यारों,

             जब मैं शाकाहार।।


बर्गर पिज्जा पूड़ी सब्जी,

            चटनी संग अचार।

तरह तरह के केक मिठाई, 

              प्लेट सजी हैं चार।।


करती हूँ अनुरोध सभी से,

             आओ खाओ यार।

खाकर घूमेंगे सब बाहर,

             कार खड़ी तैय्यार।।


चूहे बोले चतुर पड़ोसन,

               बनो न तुम ऐयार। 

बदला समय, न बदली आदत,

               अब भी हो मक्कार।।


झपट पड़ोगी मौका मिलते,

            खाओगी तत्काल।

करें मित्रता तुमसे कैसे,

         तुम, हम सब की काल।।


करो नहीं मक्कारी हमसे,

             कहकर शाकाहार।

मित्र जाल में नही फँसेंगे,

                ये प्रयत्न बेकार।

- अशोक श्रीवास्तव 'कुमुद'

राजरूपपुर, प्रयागराज


फ्लैट- किसी बड़े रिहायशी भवन का एक खंड (घर)। 

निरामिष: शाकाहारी

ऐयार - वेश बदलने में निपुण धूर्त

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