देश का वीर सिपाही हूँ : Desh Ka Veer Sipahi Hun

Dr. Mulla Adam Ali
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Desh Ka Veer Sipahi Hun Kavita : Poem on Soldiers in Hindi

Poem on Soldiers in Hindi

कविता देश का वीर सिपाही हूँ : गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति कविताएं हिंदी में आपके लिए लेकर आए हैं, देशभक्ति कविताओं में प्रस्तुत है वीर सिपाहियों को समर्पित कविता "देश का वीर सिपाही हूँ", वीर भारतीय सैनिक पर कविता हिंदी में पढ़े और शेयर करें। Poem on Soldiers in Hindi...

Indian army poem : सैनिकों पर हिंदी में देशभक्ति कविता

देश का वीर सिपाही हूँ

देश के खातिर जीना है मुझे

देश वासियों को देना है मजे

तब भारत माँ मेरे कार्यों को मानेगी

मेरी माँ-बहनें सुकून की नींद सोयेगी।


नींद गंवाया, भूखा प्यासा, रक्षा करते सरहद पर

रिश्ते छूटे, नाते टूटे, रहा भारत माँ पर न्यौछावर

याद आई माँ, बच्चों की बीवी मुझे बुलाई है

कहने लगी फोन पर, हम भी तो आपकी लुगाई है।


नहीं कोई ऐरे गैरे, हम भी तो भारत वासी हैं।

थोड़ी सी हम पर निगाह जमाओ, एक बार आओ

मुख बतलाओ, फिर चले जाओ, देश बचाओ

रोकेंगे नहीं हे वीर सिपाही दिल में जरा झकना है।


सुन भार्या का आग्रह, हुआ वीर व्यग्र

प्रार्थना किया वरिष्ठ से, गाँव है जाना छुट्टी चाहिए शीघ्र

चढ़ा रेल, यहाँ ठेला-ठेल रहा खड़ा द्वार में

आते-जाते ठोकरें खाते बैठा सौचालय के बाजू में।


अधिकारी चाहे तो हवा में है उड़ता,

आधे घंटे में परिवार से है जुड़ता

हम जो सिपाही छुट्टी सफर में ही कटाई

यारो हम हैं आजाद देश के गुलाम सिपाही।


कमांडर, मेजर, सुबेदार, हवालदार, नायक जेसीओ

है हमारे ऊपर, चमचागिरी नहीं, रिपोर्ट नहीं जाओ

फिर भूखे प्यासे, लगे रहना चुप चाप कामों में

समाज में दलित, सिपाही अभिशप्त सेना में।


कोई नहीं सोचना हमारे खातिर

क्या इतना गया-गुजरा इन्सान हूँ

मैं देश का वीर सिपाही हूँ रे भाई

मैं भारत का वीर सिपाही हूं।

- डॉ. सुरेश मारुतिराव मुळे

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