कविता : जब पाप सर चढ़ के बोलता है

Dr. Mulla Adam Ali
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Badri Prasad Verma Anjaan Poetry in Hindi

Badri Prasad Verma Anjaan Poetry

हिंदी कविता जब पाप सर चढ़ के बोलता है : कविता कोश में आज आपके समक्ष प्रस्तुत है बद्री प्रसाद वर्मा अनजान की कविता "जब पाप सर चढ़ के बोलता है", पढ़े और साझा करें।

जब पाप सर चढ़ के बोलता है


जब पाप सर चढ़ के बोलता है 

तो आदमी मंदिर बनवाता है 

मौत जब आ जाती है पास 

तो गाय को छूता है। 


जब मौत से आदमी डरता है 

तब राम राम कहता है। 

जब आदमी दुख झेलता है 

तब पाप का प्रायश्चित करता है। 


जब धन ज्यादा कमा लेता है आदमी 

तो दान पुण्य करता है। 

जब सर पर मुसीबत आती है तो 

आदमी तीर्थ यात्रा करता है। 


जब आदमी का घमंड टूट जाता है 

तब बहुत पछताता है। 

जब आदमी दर दर की ठोकरें खाता है 

तब अपने कर्मों का सजा पाता है। 


यह दुनिया किसी की नहीं है 

यह दुनिया मुसाफिर खाना है। 

यहां जो भी आया 

एक दिन उसे जाना है। 


- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान 

अध्यक्ष स्वर्गीय मीनू रेडियो श्रोता क्लब 

गल्ला मंडी गोला बाजार 273408

गोरखपुर उ प्र.

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