विश्वास के विषय पर बेहतरीन कहानी : कहानी - Vishwas Short Story

Dr. Mulla Adam Ali
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विश्वास के विषय पर बेहतरीन कहानी : Vishvas Ki Kahani : Faith Hindi Story

Vishvas Ki Kahani

विश्वास (कहानी) Vishvas Kahani in Hindi

डा. मार्क अपने समय के ख्याति प्राप्त कैंसर विशेषज्ञ थे। एक बार वे एक सम्मेलन में भाग लेने दूसरे देश में जाना था। वहाँ उन्हें अपनी नई मेडिकल रिसर्च प्रस्तुत करनी थी तथा वहीं उन्हें पुरस्कृत भी किया जाना था। इस शोध हेतु उन्होंने बड़ी मेहनत भी की इसलिये पुरस्कार पाने का उतावलापन भी था। इस सम्मेलन के प्रति वे अति उत्साहित थे और वहाँ निश्चित तिथि पर शीघ्र पहुँचना चाहते थे।

वे वहाँ जाने हेतु हवाई अड्डे पर आये तथा सभी औपचारिकता पूर्ण कर हवाईजहाज आसमान छूने लगा। कुछ मिनटों बाद जहाज में तकनिकी गड़बड़ी के कारण अन्य नगर में उसकी आपात लैंडिंग करनी पड़ी। उन्हें लगा कि वे निश्चित समय पर सम्मेलन में नहीं पहुँच सकते हैं क्योंकि वहाँ की अगली फ्लाइट 10 घंटे बाद थी।

हवाई अड्डे पर स्थानीय लोगों से वहाँ जाने का रास्ता मालूम किया। वहाँ से बाहर आकर शेष यात्रा टैक्सी द्वारा करने की सोंची। यहाँ भी उनका दुर्भाग्य साथ रहा क्योंकि टैक्सी की व्यवस्था अवश्य थी किंतु ड्राइवर नहीं था। बाध्य होकर उन्होंने स्वयं टैक्सी चलाकर आगे बढ़े।

कुछ देर बाद उन्हें दूसरी परेशानी का सामना पड़ा। रास्ते में तेज आँधी आ रही थी जिससे यात्रा करना कठिन था किंतु मजबूरी में यात्रा जारी रखी। गंतव्य की ओर जाने की जल्दी के कारण हड़बड़ी में ने दूसरे रास्ते पर चले गये। काफी देर तक गाड़ी चलाने पर वे थक चुके थे और उन्हें समझ में आ गया था कि वे रास्ता भटक चुके हैं। उन्हें भूख का भी एहसास हो रहा था और आगे की यात्रा करना कठिन था। सूनसान सड़क पर भटकते हुये एक छोटा सा मकान दिखाई पड़ा।

उसके पास जाकर गाड़ी रोकी और दरवाजा खटखटाया। एक सुंदर स्त्री ने मुस्कराकर दरवाजा खोला। डाक्टर ने संक्षेप में उसे सारी बात बताई तथा अनुरोध किया कि वह उसे एक फोन करने की अनुमति दे।

स्त्री ने बताया कि उसके पास फोन उपलब्ध नहीं है। उसने सम्मानपूर्वक उन्हें अंदर आने का अनुरोध किया और कहा कि जब तक वे चाय पियेंगे तब तक संभव है कि मौसम कुछ ठीक हो जाय।

थके व भूखे डाक्टर ने उसका अनुरोध स्वीकार कर कुर्सी पर बैठ गया। उसके पास अनुरोध स्वीकार न करने का कोई विकल्प नहीं था। स्त्री ने कुछ ही देर में उसे चाय व नाश्ता दिया। नाश्ता करने से पूर्व उसने अनुरोध किया कि वह ईश्वर का धन्यवाद दे तथा प्रार्थना करे कि मौसम जल्द ही ठीक हो जाय।

डाक्टर योग्य व्यक्ति था जिससे वह पूर्णरूप से नास्तिक था। वह स्त्री की बात ध्यान से सुन मुस्कराते हुये बोला- मैं ईश्वर की प्रार्थना में विश्वास नहीं करता बल्कि अपने कर्तव्य व मेहनत पर विश्वास करता हूँ। आप अपनी प्रार्थना ईश्वर से अवश्य करें।

वह नाश्ता अवश्य कर रहा था किंतु उसका ध्यान स्त्री व उसके छोटे बच्चे पर अधिक था जो पूर्ण श्रद्धा से प्रार्थना कर रहे थे। वह देख रहा था कि दोनों किस प्रकार ईश्वर की प्रार्थना करते हैं।

डाक्टर को अनुभव हुआ कि स्त्री या बच्चे को कोई विशेष कष्ट है जिसके लिये वह प्रार्थना कर रही है। वह उसकी ओर बड़े ध्यान से देख रहा था।

जब स्त्री प्रार्थना स्थल से उठकर उसके निकट आई तब उसने पूछा-आप ईश्वर से क्या माँग रही थीं? क्या आपको लगता है कि आप जो कुछ ईश्वर से माँग रही हैं वह वे आपको दे देंगे? आपको क्या कष्ट है?

स्त्री उदासी के बाद भी मुस्कराते हुये बोली-यह मेरा इकलौता बेटा है जो कैंसर से पीड़ित है। इसका बहुत इलाज करवाया किंतु यह ठीक नहीं हो पा रहा है। डाक्टरों का कहना है कि यह तभी ठीक हो सकता है जब इसका इलाज डाक्टर मार्क करें।

वह बोली-डा. मार्क यहाँ से काफी दूर रहते हैं। मैं उनका इलाज करवाने में असमर्थ हूँ क्योंकि उनकी फीस देने व दवा आदि का खर्च उठाना कठिन है। यह भी सत्य है कि मैं रोज ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि वह मेरे बेटे को स्वस्थ कर दें। उन्होंने मेरी प्रार्थना का उत्तर अभीतक नहीं दिया है। मुझे पूर्ण विश्वास है वे किसी न किसी दिन मेरी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे तथा ऐसा कोई रास्ता अवश्य निकालेंगे कि बच्चे का इलाज डा. मार्क स्वयं करें।

स्त्री की करुणामयी बात सुनकर डाक्टर सन्न रह गया और वह चाहकर भी कुछ बोल नहीं पा रहा था। इस अविस्मरणीय घटना से उसकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उसकी नास्तिकता समाप्त हो गई और बुदबुदाया- ईश्वर बड़ा कृपालु है।

चलचित्र की तरह उसे दिन का घटना क्रम याद आने लगा। कैसे जहाज की आपात लैंडिंग हुई बिना ड्राइवर के टैक्सी से यात्रा की, रास्ते में तूफान का सामना करते हुये स्त्री के भवन तक कैसे पहुँचा ?

वह जान चुका था कि यह सब घटना क्रम अनायास ही नहीं हुआ। ईश्वर की स्त्री द्वारा की गई प्रार्थना उन्होंने सुन लिया और उसी कारण यह सब घटित हुआ। वहीं ईश्वर उसे भी समझाना चाहते थे कि सभी घटनायें ईश्वर द्वारा ही निर्देशित होती है। ईश्वर ने उसे भी मौका देकर बताने का प्रयास किया है कि जीवन का उद्देश्य मान धन व प्रतिष्ठा कमाना ही नहीं है बल्कि उससे आवश्यक है कि असहाय की सेवा करना।

डाक्टर जान चुका था कि इस घटना का मूल उद्देश्य है कि वह उन निर्धनों का भी मुफ्त इलाज करे जो इसके लिये अक्षम हो और जिन्हें ईश्वर के प्रति श्रद्धा व विश्वास हो।

लोगों को भ्रम होता है कि जो अच्छा घटित हो रहा है उसका कारण वह स्वयं है। यदि कुछ गलत होता है तो उसका संपूर्ण दोष ईश्वर पर डालने से भी नहीं चूकता।

एकाएक जब स्थितियाँ विपरीत हो जाती हैं तभी ईश्वर की याद आती है। इसी पर एक दोहा है :-

"दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय ।।"

अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिये हम सभी को दिन में कुछ समय निकाल कर पूर्ण श्रद्धा-विश्वास से प्रभु स्मरण करना उचित है। परिणाम होगा कि कष्ट तो आवेंगे ही किंतु ईश्वर उन कष्टों को सहने की शक्ति देगा जिससे उस कष्ट का दुष्परिणाम स्वतः कम लगने लगेगा। यह तभी संभव होगा जब हम परमपिता पर पूर्ण आस्था व विश्वास रखेंगे।

- गया प्रसाद टंडन

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