हिन्दी कहानी की विकास यात्रा और प्रेमचंद

Dr. Mulla Adam Ali
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हिन्दी कहानी की विकास यात्रा और प्रेमचंद : आज हम इस आर्टिकल में हिन्दी कहानी से जुड़े रोचक तथ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। हिन्दी कहानी के विकास में प्रेमचंद का क्या योगदान रहा है और प्रेमचंद को आधार बनाकर हिन्दी कहानी का काल विभाजन कैसे किया गया है, प्रेमचंद की कहानियां क्या है, युग प्रेमचंद युगीन को कहानी काल का उत्कर्ष क्यों कहा गया है, प्रेमचंद के प्रमुख कहानियां आदि साहित्यिक जानकारी प्राप्त करेंगे।

हिन्दी कहानी के बारे पढ़कर आप –

हिन्दी कहानी विकास में प्रेमचंद का योगदान को समझ सकेंगे।

प्रेमचंद की कहानियों की विशेषता समझ सकेंगे।

प्रेमचंद की कहानियों का सारांश को जान सकेंगे।

The Development Journey of Hindi Story and Premchand

The Development Journey of Hindi Story and Premchand

हिंदी कहानियों के विकास में प्रेमचंद योगदान : मुंशी प्रेमचंद का हिन्दी कहानी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है, हिन्दी कहानी का विभाजन प्रेमचंद को आधार स्तंभ बनाकर किया गया है। प्रमचंद युगीन हिन्दी कहानी काल के एकच्छत्र सम्राट बने रहे हैं प्रेमचंद का स्थान अद्वितीय रहा है। प्रेमचंद लगभग 250 से अधिक कहानियां लिखी है, उनके कहानियां मानसरोवर नाम से आठ खंडों में संकलित हैं। प्रेमचंद की पहली कहानी दुनिया का सबसे अनमोल रतन 1907 में ज़माना में छपी थी। बलिदान (1918), आत्मराम (1920), बूढ़ी काकी (1921), विचित्र होली (1921), गृहदाह (1922), हार की जीत (1922), परीक्षा (1923), आपबीती (1923), उद्धार (1924), सवा सेर गेहूं (1924), शतरंज के खिलाड़ी (1925), माता का हृदय (1925), कजाकी (1926), सुजान भगत (1927), इस्तीफा (1928), अल्गयोझा (1929), पूस की रात (1930), तावान (1931), होली का उपहार (1931), ठाकुर का कुआं (1932), बेटों वाली विधवा (1932), ईदगाह (1933), नशा (1934), बड़े भाई साहब (1934), कफ़न (1936) आदि कहानियां।

प्रेमचंद की कहानियां आदर्शवादी और अपने आसपास की जिंदगी से जुड़ी हुई है, ग्रामीण जीवन पर अधिक कहानियां उन्होने लिखा है। पारिवारिक, सामाजिक, अंधविशास, भ्रष्टाचार, सच्चाई, ग्रामीण जीवन, किसान जीवन, छुआछूत आदि विषयों पर उन्होंने अपनी कलम चलाई है। प्रेमचंद पहले उर्दू में नवाबराय नाम से लिखा करते थे, उनका कहानी संग्रह सोजे वतन को अंग्रेज सरकार ने जब्त कर लिया था, यह कहानी संग्रह स्वतंत्र भावना से ओतप्रेत था। प्रेमचंद की कहानियां मानव जीवन और विविध समस्याओं का चित्रण करती है। हिंदी कहानी को एक कसौटी देने में निस्संदेह प्रेमचंद की कहानियां समर्थ रही है। प्रेमचंद शुरुआत में आदर्शवादी कहानियां लिखा करते थे फिर बाद में यथार्थ से जुड़ी कहानियां लिखना शुरू किया। कफ़न, पूस की रात और ठाकुर का कुआं आदि उनकी यथार्थवादी कहानियां हैं। कुछ कहानियों का वर्णन निम्नलिखित दिया गया है -

ईदगाह (Idgah Story by Premchand) : भावनात्मक और बाल मनोविज्ञान पर आधारित प्रेमचंद की कहानी प्रेमचंद द्वारा 1933 में लिखी गई है। हामिद इस कहानी का मुख्य पात्र है, वह चार पांच साल का दुबला पतला लड़का है, उसके माता पिता चल बसे है और वे अपनी बूढ़ी दादी अमीना के पास रहता है। इस कहानी में प्रेमचंद ने हामिद के माध्यम से इच्छाओं को दबाते हुए समय से पहले जीवन से वंचित होने के कारण बताया गया है। माता पिता के प्रेम से वंचित एक छोटा सा लड़का अपने बाल व्यवहार के विपरित बड़ों जैसा व्यवहार करने लगता है, इस कहानी में लेखक ने दादी और पोते के बीच मार्मिक प्रेम को बखूबी समझाया है।

दो बैलों की कथा (Do Bailon Ki Katha Story by Premchand) : 1931 में प्रकाशित प्रेमचंद की कहानी दो बैलों की कथा। इस कहानी के मुख्य पात्र दो बैल है, यह कहानी पशुओं की समझदारी और मनुष्य के प्रेम को अभिव्यक्त करती है। इंसान को पशुओं से सिर्फ मेहनत का काम ही नहीं लेना चाहिए, पशुओं के प्रति प्रेमपूर्वक व्यवहार भी करनी चाहिए इसी को दर्शाती है ये कहानी। किसान और बैलों के बीच के प्रेम को लेखक ने बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है।

बड़े भाई साहब (Bade Bhai Sahab Story by Munshi Premchand) : 1934 में प्रकाशित प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब में उनके भाई पांच साल के बड़े थे। इस कहानी के माध्यम से प्रेमचंद ने यह बताने की कोशिश किया है कि मनुष्य केवल किताबी ज्ञान प्राप्त कर सफल नहीं बन सकता, खेलों का भी जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है, पढ़ाई के साथ साथ खेलों का भी जीवन में महत्व होता है। एक बड़े भाई से छोटे भाई को किसी भी प्रकार का गलत सीख न मिले और बड़े भाई आदर्श व्यवहार का मिसाल बनकर रहना चाहते थे। 

पंच परमेश्वर (Panch Parmeshwar Story by Munshi Premchand) : 1916 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित मुंशी प्रेमचंद की महत्वपूर्ण कहानी पंच परमेश्वर। इस कहानी में ग्रामीण जीवन, उनके स्वार्थ स्वभाव और सहृदयता का चित्रण और उनके आदर्श की स्थापना है। न्याय, जिम्मेदारी, विवेक और मित्रता इस कहानी के केंद्रीय विषय है, पंच परमेश्वर मनोवैज्ञानिक कथानक पर आधारित मुंशी प्रेमचंद की महत्वपूर्ण कहानी है।

बड़े घर की बेटी (Bade Ghar Ki Beti Story by Munshi Premchand) : मुंशी प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में से 1921 में प्रकाशित बड़े घर की बेटी कहानी एक है। संयुक्त परिवार में होनेवाले झगड़े और उत्पन्न समस्याओं को केंद्र में रखकर संयुक्त परिवार के महत्व को यह कहानी में बताया गया है, आनंदी इस कहानी का मुख्य पात्र है और बड़े घर की बेटी हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताया है कि स्त्रियां अपनी समझदारी से परिवार को टूटते और बिखरते ने से जोड़ सकती है, स्त्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है पारिवारिक शांति और सामंजस्य बनाए रखने में।

कफ़न (Kafan Story by Munshi Premchand) : 1936 में प्रकाशित प्रेमचंद की सर्वाधिक चर्चित कहानी कफ़न है। कफ़न कहानी परिवार की त्रासदी की नहीं बल्कि समाज व्यवस्था के आन्तरिक खोखलेपन की भी है। इस कहानी से यह भी शिक्षा मिलती है इंसान कभी कामचोरी नहीं करनी चाहिए उसे मेहनत कर अपना जीवन सुखमय बनाना चाहिए। इस कहानी के मुख्य पात्र घीसू और उसके पुत्र माधव है।

पूस की रात (Pus Ki Raat Story by Premchand) : 1930 में प्रकाशित प्रेमचंद की कहानी पूस की रात बेमिसाल दोस्ती और दर्द की दास्तान है। भारतीय किसान जीवन का यथार्थ चित्रण इस कहानी में देखने को मिलता है, हल्कू इस कहानी का मुख्य पात्र है जो कर्ज में डूबा हुआ है और वे सर्दी के मौसम में एक कंबल तक नहीं खरीद सकता है। पूस की रात कथा मध्यम से प्रेमचंद पूरे भारत के गरीब किसान व्यथा को व्यक्त किया है।

ठाकुर का कुआं Thakur Ka Kuaan Hindi Story by Premchand) : 1932 में प्रकाशित प्रेमचंद की कहानी ठाकुर का कुआं छूआछूत की समस्या पर आधारित है। इस कहानी में मुख्य पात्र गंगी है, जो अपने पति को ठाकुरों से डरकर बीमार पति को स्वच्छ पानी तक नहीं पिला पाती है। जातिप्रथा, छुआछूत के कारण मानवीय अधिकारों से वंचित लोगों के बारे में यह कहानी बयां करती है।

प्रेमचंद की सभी कहानियां पाठक को बार बार पढ़ने को विवश करती है। ये कहानियां अपने आसपास के जीवन से जुड़ी हुई है तो पाठक को इस कहानी पढ़ने के बाद सभी प्रश्नों के जवान मिल जाते हैं। प्रेमचंद की कहानियों में प्रयुक्त भाषा सरल, सहज और स्वाभाविक है, दिल को छू लेने वाली हैं।

ये भी पढ़ें; मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ और उपन्यास : Premchand Novels Stories in Hindi

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