आत्मविश्वास बढ़ाने पर एक प्रेरणादायक बाल कहानी : टांय टांय फिश

Dr. Mulla Adam Ali
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An inspirational children's story on building self-confidence : Prerak Bal Kahani in Hindi

Toi toi fish bal kahani in hindi

बच्चों के लिए आकर्षक और प्रेरक बाल कहानी टांय टांय फिश : हवा का इंतजाम बालकथा संग्रह से बाल साहित्यकार गोविंद शर्मा की रोचक व प्रेरक बाल कहानियां प्रस्तुत है। टांय टांय फिश कहानी में रोचकता के साथ बच्चों में प्रेरणा जगाने के लिए एक सुंदर संदेश भी छुपा हुआ है जो बच्चों के लिए प्रेरणादायक है। टांय टांय फिश में एक मछली को आधार बनाकर हम आत्मविश्वास के साथ क्या-क्या कर सकते हैं। इस कहानी के माध्यम से बच्चों को प्रेरणा मिलेगी और पढ़ते समय बड़ा मजा भी आयेगा। पढ़े आत्मविश्वास के विषय पर बेहतरीन बाल कहानी टांय टांय फिश। सुंदर और रोचक बाल कहानियां अन्य कहानी पढ़े शिक्षाप्रद, नैतिक और ज्ञानवर्धक हिन्दी बाल साहित्य से संबंधित महत्त्वपूर्ण बाल कहानियां।

Stories for Students : Hindi Stories for Kids - बाल कहानियाँ

टांय टांय फिश

एक थी मछली। छोटी सी, प्यारी सी। कुछ बच्चों ने उसे देखा। एक बच्चे ने पूछा-तुम कौन हो?

मछली ने जवाब दिया-मैं फिश हूँ।

"सब बच्चे हँस पड़े। एक बोला- फिश तो सभी मछली होती है। तुम्हारा नाम क्या है?"

"मेरा नाम टांय टांय है।"

"हैं? तो तुम्हारा पूरा नाम हुआ टांय टांय फिस्स।" जब एक बच्चे ने कहा तो सब हँस पड़े।

"इसमें हँसने की क्या बात है?"

"हँसने की बात यह है कि जो पटाखा चलता नहीं यानी आवाज नहीं करता, उसे हम फिस्स हो जाना कहते हैं। जो कोई बड़बोला होता है या हिम्मत हारने वाला होता है, वह असफल हो जाता है तो उसे हम टांय टांय फिस्स हो जाना कहते हैं। तुम्हारा तो नाम ही टांय टांय फिस्स है।"

"नहीं, मैं फिस्स नहीं, फिश हूँ। मैं हिम्मत हारने वालों में नहीं हूँ। आज मैं पानी से बाहर इसलिए आई हूँ कि मुझे इस पहाड़ की चोटी पर चढ़ना है।"

यह सुनकर बच्चे हँस पड़े। एक बोला-तो तुम तेनजिंग शेरपा बन कर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने आई हो?

"मुझे मालूम है यह पहाड़ की चोटी माउंट एवरेस्ट नहीं है।"

"लेकिन तुम्हारे लिए तो यह माउंट एवरेस्ट ही साबित होगा। तुम इस पर नहीं चढ़ सकोगी।"

"मैं इस पहाड़ की चोटी पर चढ़कर दिखाऊँगी।"

नन्हीं फिश ने पहाड़ पर चढ़ना शुरू किया। अभी वह थोड़ा-सा ऊपर गई थी कि फिसल कर नीचे गिर पड़ी। बच्चों को हँसी आ गई।

फिश ने अपनी कोशिश नहीं छोड़ी। उसने हवा में एक पत्ता उड़ता देखा। उसने पत्ते से कहा, "मुझे अपने संग उड़ा ले चलो। मुझे पहाड़ की चोटी पर चढ़ना है।" पत्ते ने कहा, "आ जाओ। मेरे ऊपर बैठ जाओ।"

फिश उस पत्ते पर बैठ गई। हवा की गति कम हो गई थी। फिश के बोझ तले दबा पत्ता उड़ा ही नहीं। यह देखकर बच्चे हँस पड़े। पर फिश ने अपना इरादा नहीं छोड़ा। उसने एक चिड़िया को उड़कर पहाड़ की चोटी की तरफ जाते देखा। उसने चिड़िया को आवाज दी-सुनो, मुझे पहाड़ की चोटी पर जाना है। मुझे भी अपने संग उड़ा ले चलो।

चिड़िया को यह छोटी फिश बहुत अच्छी लगी। चिड़िया नीचे बैठ गई। फिश उसके ऊपर चढ़ गई। चिड़िया उड़ने लगी। फिश को बड़ा मजा आने लगा। पर यह क्या, फिश नीचे गिर गई। गिरे क्यों न? चिड़िया की पीठ के पंख बहुत ही नर्म और चिकने थे। वहाँ पकड़ने के लिए भी कुछ नहीं था। नीचे गिरने से मछली को चोट तो आई, पर उसने परवाह नहीं की। बच्चे इस बार पहले से भी ज्यादा जोर से हँसे।

चिड़िया की पीठ से गिरने पर फिश को पानी की जरूरत महसूस हुई। उसने देखा पहाड़ की उसी चोटी से पानी की एक धार लगातार नीचे गिर रही है। नीचे पानी की झील-सी बन गई है। वह उस पानी में कूद गई।

एक बच्चे ने कहा- फिश पानी में कूद गई। इसका मतलब है उसने पहाड़ पर चढ़ने का इरादा छोड़ दिया है। उसकी टांय टांय फिस्स हो गई है। आओ, हम भी उसे भूल कर पानी की इस पतली धार को देखने का मजा लेते हैं।

अचानक एक बच्चा बोला-अरे देखो, पानी की धार में वह क्या है?

"अरे यह तो वही फिश है। पानी की ऊपर से नीचे गिरती धार में यह तो ऊपर चढ़ रही है।"

"यह तो बिजली के करंट की तरह है। यदि बिजली के नंगे तार पर ऊपर से पानी की धार गिरे तो उस धार से करंट ऊपर की तरफ चला जाता है। लगता है ऊपर से गिरती इस धार के सहारे यह तो चोटी पर चढ़ जायेगी।"

थोड़ी देर बाद सबने देखा वह फिश पहाड़ की चोटी पर फुदक रही है। बच्चों ने उसकी तरफ अपने हाथ हिलाए और कहा-

तुम नहीं हो टांय टांय फिस्स !

तुम हो असली टांय टांय फिश।

बाय। बाय! फिश....!

- गोविंद शर्मा

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