देखिए और सीखिए — गोविंद शर्मा की प्रेरक कहानी, जो सिखाती है स्वच्छता और पर्यावरण का महत्व

Dr. Mulla Adam Ali
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Dekhiye aur Sikhiye - Govind Sharma's inspiring story that teaches the importance of greed, cleanliness and environment, Hindi Prerak Kahaniyan, Motivational Stories.

Dekhiye aur Sikhiye

देखिए और सीखिए हिंदी कहानी

प्रेरक कहानी : यह कहानी गोविंद शर्मा द्वारा रची गई है, जिसमें कुछ पर्यटक एक छोटे, साफ-सुथरे और हरे-भरे राज्य में जाते हैं और उसके छोटे आकार का मजाक उड़ाते हैं। लेकिन वहाँ के राजा की बुद्धिमत्ता और विनम्रता उन्हें एक महत्वपूर्ण सीख देती है — असली महानता दूसरों की अच्छाइयों को पहचानने, लालच से दूर रहने और पर्यावरण व स्वच्छता के लिए समर्पित रहने में है। यह कहानी हमें आत्मविश्लेषण और सुधार की प्रेरणा देती है।

देखिए और सीखिए

गोविंद शर्मा की प्रेरक कहानी, जो सिखाती है स्वच्छता और पर्यावरण का महत्व 

     दूसरे राज्य से कुछ पर्यटक एक राज्य में गए। जिस राज्य में पर्यटन के लिए गए थे, वह हरा भरा और साफ सुथरा था। पर आकर में छोटा था। पर्यटक उसके छोटे आकार का मजाक उड़ा रहे थे। एक बोला- सुबह चले थे और दोपहर तक हम राज्य के इस किनारे से उसके किनारे तक घूम आए। इतने छोटे राज्य का क्या महत्व है?

    दूसरा बोला- लगता है यहां का राजा बहुत लालची है। वह राजा कहलाने के लिए इस एक नगर और कुछ देहातों की गठरी को राज्य बनाये बैठा है। इंसान के लालच की हद नहीं होती।

      यह सुनकर सारे पर्यटक हंस पड़े।

      यह बात राजा के एक बिना वर्दी के सिपाही ने भी सुन ली। उसे अपने राजा और राज्य का यह मजाक अच्छा नहीं लगा। उसने तुरंत राजा को इसकी सूचना दी और उन पर्यटकों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति मांगी । राजा ने कहा- तुम कुछ नहीं करोगे। जो करना होगा, मैं करूंगा। 

     राजा ने तुरंत एक घोषणा करवा दी। वह घोषणा केवल उन्हीं पर्यटकों के पास की गई -जिस किसी इंसान में लालच नहीं होता, वह महान होता है। यदि कोई ऐसा इंसान मेरे सामने आता है और यह प्रमाणित कर दे कि उसने कभी लालच नहीं किया तो मैं पहले पहल आने वाले को अपना आधा राज्य दे दूंगा।

    घोषणा सुनकर पर्यटकों में खलबली मच गई। सभी के दिल में आया कि राजा के सामने पहुंचे और कहें कि हमने कभी लालच नहीं किया। पर दो को छोड़कर सब पीछे हट गए। वे दोनों ही राजा के सामने पहुंचे। एक तो वह, जिसने छोटा राज्य होने का मजाक उड़ाया था तथा दूसरा वह जिसने राजा को लालची बताया था।

     राजा ने दोनों से पूछा कि तुमने कभी लालच किया है? 

   दोनों ने एक दूसरे को नहीं, स्वयं को ही लालच विहीन बताया। अपने-अपने पक्ष में कई तर्क दिए। कई उदाहरण दिए कि वह लालची नहीं है। आप घोषणा के अनुसार आधा राज्य दे देवें।

     "क्यों?" राजा ने कहा तो दोनों एक बार तो चुप हो गए। फिर अपने को लालच विहीन बताने लगे। ऐसा भी लगा कि आधे राज्य के लिए दोनों आपस में लड़ने के लिए तैयार हैं। राजा को हंसी आ गई ।बोला - तुमने मेरे राज्य को छोटा सा बताया था। अब उस छोटे से राज्य का आधा हिस्सा लेने के लिए अपने साथी से लड़ने के लिए तैयार हो गए।क्या यह लालच नहीं है?

      फिर दूसरे से कहा - तुमने मुझे लालची कहा। क्योंकि मैं राजा कहलाने के लालच में इस छोटे राज्य को लिए बैठा हूं। तुम? तुम भी इस छोटे से राज्य का आधा हिस्सा लेने के लिए अपने साथी से लड़ने के लिए तैयार हो गए ।उससे मुकाबला कर रहे हो। क्या यह लालच नहीं है? सब कुछ मुफ्त पाने और दूसरे से ज्यादा पाने की इच्छा ही तो लालच होता है। तुम दोनों में साधारण मानव से ही ज्यादा लालच है। तुम्हें आधा राज्य कैसे दे सकता हूं? 

     राजा ने आगे कहा - मेरे राज्य में कई पर्यटक आते हैं। वे यह याद लेकर नहीं जाते कि उन्होंने एक छोटा राज्य देखा है।वह ले जाते हैं यहां के लोगों के सफाई पसंद होन की भावना और पर्यावरण के प्रति प्रेम की सच्ची कहानियां ।वे यह प्रेरणा लेकर जाते हैं कि हम भी अपने देश में ऐसी ही सफाई रखेंगे और पर्यावरण को बिगड़ने से बचाएंगे। यहां मेरा लालच दर्शनीय नहीं है। तुम लोग अभी हमारे राज्य में घूम कर वापस नहीं गए हो। जब वापस जाओगे तो सीमा चौकी पर हमारे आदमी अपने राज्य में ले जाने के लिए तुम्हें पौधे भेंट करेंगे।

    इसलिए मेरा यह कहना है कि तुम्हें दूसरे में कमी ढूंढने की बजाय पहले अपनी वैसे ही कमी को दूर करना चाहिए। किसी में बुराई ढूंढने से पहले उसमें उसकी अच्छाइयां भी तो देखो। 

      बात उन दोनों की समझ में आ गई। दोनों ने क्षमा मांगी और सफाई और पर्यावरण के संरक्षण के प्रति समर्पित रहने का वादा किया ।राजा ने भी उन्हें माफ कर दिया।

- गोविंद शर्मा,
ग्रामोत्थान विद्यापीठ, संगरिया
जिला- हनुमानगढ़ (राजस्थान)
पिन 3350 63

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