हाथी राजा: हाथी और शेर की साहसिक कविता | त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Dr. Mulla Adam Ali
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पढ़िए त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा रचित प्रेरणादायक कविता 'हाथी राजा', जिसमें एक युवा हाथी और शेर के बीच साहसिक टकराव को रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया गया है। बच्चों और बड़ों के लिए समान रूप से मनोरंजक।

हिंदी प्रेरक बाल कविता

हाथी राजा / त्रिलोक सिंह ठकुरेला


अपनी धुन में घूम रहा था,

वन के अंदर हाथी । 

उसके साथ नहीं था उस दिन 

कोई संगी साथी ।। 


तभी अचानक एक ओर से 

शेर अकड़कर आया ।

निपट अकेला हाथी पाकर

उसका जी ललचाया ।। 


बोला- अहा ! युवा हाथी का 

आज शिकार करुँगा । 

कई दिनों से भूखा हूँ मैं 

जमकर पेट भरुँगा ।। 


हाथी बोला - अबे, शेर 

यदि हिम्मत हो, तो आओ ।

मैं भी हाथी राजा हूँ, 

तुम मुझे न आंख दिखाओ ।। 


सूंड उठा, हाथी चिंघाड़ा 

दिया शेर को झटका । 

और यकायक उसे उठाकर

झट धरती पर पटका ।। 


डरकर शेर वहाँ से भागा,

भूला अकड़ दिखाना ।

हाथी बोला- शेर फिर कभी 

मुझसे मत टकराना ।। 


- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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