माँ: ममता, शक्ति और संस्कार की जीवंत प्रतिमा - एक भावनात्मक कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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Poem on Mother's Day

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MAA Par Kavita : पढ़िए मातृ दिवस पर विशेष मधु माहेश्वरी की कविता माँ, यह कविता माँ के विविध रूपों — ममता, शक्ति, त्याग और संस्कृति की प्रतीक के रूप में मां को भावपूर्ण शब्दों में प्रस्तुत करती है। माँ को प्रथम गुरु, देवी और नव परिवर्तन की रक्षक के रूप में समर्पित एक प्रेरणादायक रचना।"

मदर्स डे पर विशेष कविता

माँ 


माॅं, जग जननी,जन्मदात्री है, 

तो तू ही ईश्वर की अनुभूति है।

मेरे मन का विश्वास जग में माँ,

तू ही त्याग- स्नेह की मूरत है।।


माॅं तू ममता की पुजारन है,

तो शक्ति स्वरूपा देवी भी है।

भक्ति रूपा मीरा है तो माॅं,

तू ही दुर्गा-भवानी काली है।।


दया-प्रेम,करुणा का सागर है,

नि:स्वार्थ भावों की सरिता है।

शील और सन्तोष की धारक है, 

तो सीता,सावित्री,अनुसुईया है।।


पन्ना,पद्मावती झांसी-रानी है,

परम्परा संस्कृति की पोषक है।

संस्कार-संस्कृति का ज्ञान कराए,

माॅं नव परिवर्तन की रक्षक है।।

 

मानवीय शिक्षा पाई तुझसे ही,

मेरी प्रथम गुरु तू ही है माॅं।

ऐसी जग जननी,देवी तूझको,

मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है माॅं।।


- मधु माहेश्वरी

सेवानिवृत्त प्राध्यापिका

सलूंबर, राजस्थान

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