सियार की चालाकी और सच की जीत: एक बाल पद्यकथा

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Verse Story Siyar Ki Chalaki by Dr. Surendra Vikram, Hindi Bal Kavita, Children's Poetry, Kids Poems in Hindi.

Rang Mein Duba Siyar

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हिंदी पद्य कथा : यह बाल पद्यकथा एक चालाक सियार की कहानी है जो झूठ और दिखावे से जंगल का राजा बन जाता है, लेकिन सत्य की बारिश में उसकी असलियत सामने आ जाती है। बच्चों को ईमानदारी और सच्चाई का संदेश देती यह कविता डॉ. सुरेन्द्र विक्रम द्वारा रचित है।

ईमानदारी और सच्चाई का संदेश देती पद्य कथा

रंग में डूबा हुआ सियार


जंगल- जंगल घूम रही है

सुनी हुई इक कथा-कहानी। 

थोड़ा उसमें नमक मिलाकर

जिसे सुनातीं मेरी नानी ।


नीले टब से बाहर आकर 

सोच रहा था रंगा सियार।

बन जाऊँ जंगल का राजा 

मन में आया नया विचार। 


यही सोचकर जंगल आया 

सबको अपनी बात बताने। 

मैं राजा, अधिकार बहुत है 

पूरा जंगल धौंस जमाने। 


सभी जानवर बात मानकर 

उसकी सेवा करने आए।

सारे जंगल के लोगों पर 

उसने अपने नियम बनाए। 


क्या गैंडा, क्या बारहसिंगा 

उसके आगे पानी भरते।

चीता, शेर,भेड़िया, गीदड़ 

सब के सब अब उससे डरते।


एक दिवस जब खुली जगह में 

राजा ने इक सभा बुलाई।

नए बजट में क्या-क्या होगा 

खुलकर सारी बात बताई। 


सोच-विचार चरम पर था 

पर तभी जोर की आँधी आई।

काले-काले बादल छाए 

चम-चम-चम बिजली मुस्काई। 


झम-झम, झम-झम पानी बरसा 

भीगे मधुमक्खी के छत्ते ।

खड़े-खड़े सब रहे देखते

भीग गए पेड़ों के पत्ते ।


पानी इतना बहा सड़क पर 

छोटे पौधे डूबे सब ।

बड़ी-बड़ी बूँदों से मिलकर

धुले-धुले मंसूबे सब ।


पानी की इस तेज धार में

सारी अकल हुई बेकार।

अब क्या होगा लगा सोचने

रंग में डूबा हुआ सियार।


खड़े-खड़े सब रहे देखते

जब सियार का छूटा रंग।

थर-थर,थर-थर लगा काँपने

उसका बदल गया था ढंग।


खुली पोल जैसे ही उसकी 

झूठी बातें लगा बताने ।

आँखों में घड़ियाली आँसू

बात न कोई उसकी माने।


लंबी सूँड़ उठा हाथी ने 

गुस्से में उसको जा डपटा ।

इधर शेर गुस्से में आकर 

बड़ी जोर से उस पर झपटा।


ऐसा कसकर मारा पंजा 

उसकी सारी देह हिली ।

झूठ बोल राजा बनने की 

उस सियार को सजा मिली।


- डॉ. सुरेन्द्र विक्रम

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