पंजाबी से अनूदित बेहतरीन कविता : ढोल बजने चाहिएँ

Dr. Mulla Adam Ali
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Punjabi Poetry : पढ़िए कविता कोश में प्रस्तुत है पंजाबी से अनुवाद कविता ढोल बजने चाहिएँ, भगत सिंह पर विशेष कविता, भगत सिंह के विचारों को बया करती पंजाबी कविता का हिन्दी अनुवाद पढ़ें और साझा करें।

Dhol Bajane Chahiye

ढोल बजने चाहिएँ


हमने देखा, हमने सुना,

मोज-मेले के लिए

भोले-भाले लोगों को बरगलाने के लिए

कहते है-

"भगत सिंह तेरी सोच पर,

पहरा देंगे ठोक कर ।"

चोरों को छूट देते हैं

लूटो-खसोटो, जेबें भर लो ।

माला-माल हो जाओ

फिर जगा कर कहते हैं

बच कर रहना, चोर फिरते हैं

रात बाकी है

अन्धेरे के प्रसार के लिए

काले गोरे सांपो को

रंग बरंगे नागों को

कौन पहचानता है

कौन पूछता है

क्या ऐसा ही होता रहेगा

तेरी फोटो लगा कर

फूलों के हार डाल कर

वहमों की उम्र बढ़ाकर

केवल इंकलाब जिन्दाबाद के

चार नारे लगाकर

सरमाएदारी मुरदाबाद कहकर,

तुम्हारे सिद्धान्तों पर माला डालकर

अमल की तरफ पीठ करके

चल पड़ते हैं हरा-हरा घास खाने के लिए

छुरी, मार, दोगले

बे-शर्म शैतान

बे-अर्थो को अर्थ देने के लिए

वर्तमान प्रबन्ध के विरूद्ध

बगावत खड़ी करने के लिए

इंसाफ के लिए, बराबरी के लिए

वैज्ञानिक सोच के साथ

जिन्दगी की नींव भरने के लिए

समाजवाद लाने के लिए

मेले लगने चाहिए

ढोल बजने चाहिए

नगाड़े बजने चाहिए


- खरलवीर, इंग्लैंड

(पंजाबी से अनुवाद - गुरमीत सिंह)

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