प्रेम के दीप जलाओ: एकता, मानवता और प्रेम पर आधारित बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
0

कविवर डॉ. राकेश 'चक्र' हिन्दी के प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार हैं। उन्होंने वयस्कों के लिए तो साहित्य का सृजन किया ही है, साथ ही उनका बाल साहित्य के क्षेत्र में भी योगदान प्रशंसनीय है। आपकी बाल साहित्य की पाँच दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। बच्चों के लिए प्रेरक, मनोरंजक एवं रोचक कविताओं के प्रणयन में उन्हें विशेष सफलता प्राप्त हुई है। इनकी कविताएँ बाल-रुचि, बाल-मनोविज्ञान एवं बाल-प्रकृति को अवश्य ही प्रभावित करेंगी। सरल, सुबोध एवं सहज भाषा में रचित बाल कविताएँ सम्प्रेषणीयता के गुण से समन्वित हैं। पढ़िए बाल काव्य-कृति 'प्रेम के दीप जलाओ' से एक कविता।

Prem Ke Deep Jalao

बाल कविता प्रेम के दीप जलाओ

Ekta aur Manavata par Kavita : 'प्रेम के दीप जलाओ' डॉ. राकेश चक्र की बाल काव्य-कृति की शीर्षक कविता है, जो सांप्रदायिक सौहार्द, मानवीय एकता और प्रेम का संदेश देती है। यह रचना बच्चों को समाज में प्रेम, शांति और सह-अस्तित्व का महत्व समझाने का उत्कृष्ट माध्यम है। नैतिक शिक्षा के लिए उपयुक्त बाल कविता।

Poem on Unity and Humanity

प्रेम के दीप जलाओ


दीवारें नफरत की तोड़ो,

गीत प्रेम के गाओ रे ।

हिन्दू-मुस्लिम - सिख-ईसाई,

मिलकर दीप जलाओ रे ।।


पहले सब इन्सान बनें हम ।

मन वीणा की तान बनें हम।

भेद-भाव से दूर रहें हम ।

इक-दूजे की शान बनें हम ।

कर्तव्यों को आगे रखकर,

भू पर सभी महान बनें हम ।

सब मिल-जुलकर भारत माँ के

माथे को चमकाओ रे ।।


विधि-विधान हैं न्यारे-न्यारे।

धर्म सभी हैं अच्छे प्यारे ।

मानव क्यों अज्ञानी बनकर,

भेदभाव मन में विस्तारे।

मानवता के लिए लड़े जो,

वे सबकी आँखों के तारे।

बहुत हो चुका मत भाई को,

भाई से लड़वाओ रे ।।


हर प्राणी से प्यार करो तुम।

सबके दिल में प्यार भरो तुम

बना सुखी औरों को खुश हो,

निज सुख का विस्तार करो तुम।

ऊँच-नीच और भेदभाव की,

कीचड़ से ऊपर उबरो तुम

एक सूत में सारे बँधकर

राह नई दिखलाओ रे ।।


लाभ नहीं कुछ भड़काने से।

नादानों को लड़वाने से।

नहीं मिला, कुछ नहीं मिलेगा,

ज़हर फिज़ा में घुलवाने से

सीमाओं पर शमा जले तब,

जलो सभी मिल परवाने से।

द्वेष-कपट हिंसाएँ छोड़ो

अमन-चैन अब लाओ रे ।।


- डॉ. राकेश चक्र

यह कविता बच्चों को एकता, प्रेम, और सामाजिक समरसता के संदेश से जोड़ती है। विद्यालयों में इसे नैतिक शिक्षा, राष्ट्रीय एकता दिवस, या सद्भावना सप्ताह के अंतर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है।

ये भी पढ़ें; धन्य हो जननी जन्मभूमि: वीर रस से ओतप्रोत देशभक्ति बाल कविता

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. learn more
Accept !
To Top