“Dhanya Ho Janani Janmabhoomi” is a patriotic Hindi poem for children by Dr. Rakesh Chakra. It celebrates devotion to the motherland, valor, and sacrifice, making it perfect for school recitations during national festivals like Independence Day and Republic Day.
Deshbhakti Geet in Hindi
Patriotic Poem in Hindi : 'धन्य हो जननी जन्मभूमि' डॉ. राकेश चक्र की बाल काव्य-कृति 'प्रेम के दीप जलाओ' से ली गई एक प्रेरणादायक देशभक्ति कविता है। यह बालक के माध्यम से भारत माँ को समर्पण, वीरता, और राष्ट्रगौरव की भावना को प्रकट करती है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के लिए आदर्श रचना।
Dhanya Ho Janani Janmabhoomi
धन्य हो जननी जन्मभूमि
धन्य हो जननी जन्मभूमि, तेरा अभिवादन करता हूँ।
तेरी रक्षा की खातिर, मैं सर्वस्व समर्पण करता हूँ।।
मैं वीर बनूँ, रणधीर बनूँ।
दुश्मन को सबक सिखाऊँगा।
मैं करके विश्वविजय हासिल,
भारत का मान बढ़ाऊँगा।
मैं इसी ध्येय को धारण कर
हर दुश्मन से रण करता हूँ।।
मैं सीना ताने बढ़ता हूँ।
हर शैल शिखर पर चढ़ता हूँ।
मुझको अपनी परवाह नहीं,
मैं देश के सपने गढ़ता हूँ।
मैं खाता सौ-सौ जख्म भले ही
कभी न आहें भरता हूँ।।
धन्य तेरा हो जननी जन्मभूमि
अभिवादन करता हूँ।
तेरी रक्षा की खातिर मैं सर्वस्व समर्पण करता हूँ।।
- डॉ. राकेश चक्र
यह कविता बच्चों में देश के प्रति निष्ठा, समर्पण और बलिदान की भावना को जाग्रत करने वाली अनुपम रचना है। इसे राष्ट्रीय पर्वों, स्कूल सभाओं और बाल कव्य-प्रतियोगिताओं में पाठ किया जा सकता है।
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