फहीम अहमद की बाल कविता : मंकी मियाँ

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🐒 मंकी मियाँ 🐒

लो, आ गए मंकी मियाँ,

मत खोलना ये खिड़कियाँ।


अंदर अगर आया अभी

तो डर के भागेंगे सभी।

कोई अगर भागा नही

खों -खों करेगा वह तभी।


बैठा हुआ खिड़की पे ही

देता रहेगा घुड़कियाँ।


आया वह रोशनदान से

बैठा हुआ है शान से।

केले सभी करके हजम

चश्मा उठाया लॉन से।


चश्मा न दे, खाता रहा

दादा से सौ सौ झिड़कियाँ।


वह दौड़ कर फिर आ गया

चुन्नू की चिज्जी खा गया।

मुन्नू की निक्कर नोच दी

चिंकी की गुड़िया पा गया।


बच्चे सभी नीचे खड़े

अब ले रहे है सिसकियाँ।


डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग
महात्मा गांधी मेमोरियल पी. जी. कॉलेज
सम्भल - 244302 (उ.प्र.)

मो - 8896340824

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