🤱माँ 🤱
दुनिया ने मेरे प्यार –
ममत्व और समर्पण को देखा और
मुझे ईश्वर के समतुल्य कहा
पर मैं ईश्वर नहीं थी
मैं इंसान थी
मैं ईश्वर होकर इंसानों से अलग होना नहीं चाहती
क्योंकि ईश्वर सबके साथ रहता है
पर ईश्वर के साथ कोई नहीं
ईश्वर की समतुल्यता ने
मुझे इंसानों की दुनिया से परे कर दिया
मैं अपने लिए बने प्यार , ध्यान और समय से वंचित हो गई
अब भला ईश्वर शिकायत कैसे और किससे करें ?
नौशीन अफशा
एम.ए., बीएड., हिंदी
दिल्ली
ये भी पढ़ें;
✓ Women's Day Special: सामाजिक खुशहाली की कसौटी है स्त्री की दशा
✓ समकालीन उपन्यासों में शिक्षा के सन्दर्भ में स्त्री शोषण
Mother's Day Special : मातृ दिवस पर विशेष कविता
Even more from this blog
Dr. MULLA ADAM ALI
Dr. Mulla Adam Ali / डॉ. मुल्ला आदम अली
हिन्दी आलेख/ Hindi Articles
कविता कोश / Kavita Kosh
हिन्दी कहानी / Hindi Kahani
My YouTube Channel Video's