अशोक श्रीवास्तव "कुमुद" की काव्य कृति "सोंधी" महक से ताटंक छंद पर आधारित रचना
🍾 बिरजू 🍺
गिरा पड़ा मेड़े पर बिरजू,
हुई खबर घरवाली को।
रोय रही घर बैठी कमली,
कैसे लाय मवाली को।
याद आ रहा कमली को सब,
आँसू दर्द भरी रातें।
रोते खटते जीवन बीता,
भूली ना गुजरी बातें।
काम धाम ना किया कभी कुछ,
बोझ रहा घरवाली ये।
मांग रहा नित दारू खातिर,
रुपया रोज सवाली ये।
सुबह शाम का चक्कर बिरजू,
दारू उदर भरावै का।
घर से ठेका वापस घर को,
और कहीं नहि जावै का।
यार दोस्तों के संग दिन भर,
जमा रहे बस ठेका ये।
मंदिर मस्जिद उसका सब ये,
और न मत्था टेका ये।
गँउवा वाले खुब समझावैं,
बात नहीं कुछ माने का।
डाँट डपट का असर खतम बा,
ना चिंता अपमाने का।
घर में भूँजी भाँग नहीं बा,
बोतल बा दुइ झव्वा के।
देशी पीना चाहै बिरजू,
अद्धा हो या पव्वा के।
मिलै पिये का ना गर बिरजू,
गला फाड़ कर चिल्लावै।
बोतल लिए अगर घर आवै,
चुपके से घर में जावै।
सुबह अगर चूल्हा जल जइहैं,
संझा नहीं ठिकाना बा।
भूखे पेट नींद ना आवै,
मौसम कितौ सुहाना बा।
गहना गुरिया सब कुछ बिकगै,
बचा नहीं कुछ टेंटे में।
चाह यही बिरजू की हर पल,
मिलै कहीं यह भेंटे में।
लड़कन फीस के दारू पिया,
कवनौ पूछत तो डाँटै।
विद्यालय से नाम कट गया,
बिरजू असर नहीं बाटै।
उमर नहीं बा छोटा लड़का,
करत कहूँ मजदूरी बा।
कवन कहै स्कूल पढ़ै के,
पेटवा भरब जरूरी बा।
मजदूरी कर लौटे लड़का,
बिरजू माँगत दारू बा।
मार पीट के पैसा छीनत,
जाय खरीदत दारू बा।
पेट बिमारी घेरे बिरजू,
दरद करै तब चिल्लावै।
डाक्टर मना किए है दारू,
तलब लगै तब झल्लावै।
कबौं कबौं बिरजू भी सोचै,
जहर समान नशायारी।
तलब लगे जब दारू की तब,
भूल जाय दुनियादारी।
दारू पियै सबै से छिप छिप,
बात नहीं बिरजू मानै।
जब तक जियबै पियबै दारू,
मरब जियब हम ना जानै।
काल चढ़ा बिरजू के सर जब,
घड़ी गिनै सब मौते का।
कमली भी अब थकी मना कर,
अश्क बहावत राते का।
समझ गयी अब भोली कमली,
आदत यह नहि छूटेगी।
पीने से न बाज आएगा,
मरने पर यहि छूटेगी।
गिरा पड़ा मेड़े पर बिरजू,
याद करै घरवाली का।
समय नहीं बा घर पहुँचा दो,
लगत मौत नहि टाली का।
बुधिया देखत मन में सोचै,
बिरजू गड़बड़ या दारू।
दारू पियत रहा बिरजू या,
निगल गई बिरजू दारू।
देख रहा गँउवा बिरजू को,
तरस नहीं कवनौ खावै।
करै नशा तो हाल यही हो,
काल बुला खुद लै आवै।
नशा करै जो देय बुलौआ,
धर्मराज घर आने का।
छूटे दारू नशा यहीं पर,
साथ नहीं कुछ जाने का।
राजरूपपुर, प्रयागराज
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