Bihari Ke Dohe : कागद पर लिखत न बनत कहत सँदेसु लजात

Dr. Mulla Adam Ali
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Bihari Ke Dohe : कागद पर लिखत न बनत, कहत सँदेसु लजात - Khagad Par Likhat - बिहारी लाल के दोहे हिंदी

Bihari Lal Ke Dohe with Meaning : बिहारीलाल के दोहे हिंदी अर्थ सहित 

कागद पर लिखत न बनत, कहत सँदेसु लजात।

कहि है सबु तेरौ हियौ मेरे हिय की बात॥

kagad par likhat na banat, kahat sandesu lajaat.

kahi hai sabu terau hiyau mere hiy ki baat.

कागद = क़ागज।

लिखत = लिखते

न बनत = नहीं हो पा रहा।

लजात = लज्जा आती है।

कहिहै = कहेगा।

हियौ = हृदय

भावार्थ : इस दोहे में नायक को नायिका अपनी मन की बात को संदेश भेजना चाहती है। वह अपने प्रेमी तक संदेश को कैसे पहुंचाए। कागज पर नायिका अपनी मन की भावनाओं को नहीं लिख पा रही है। नायिका की मनोस्थिति को बिहारी ने इस दोहे में वर्णन किया है। नायिका कहती हैं कि नायक का हृदय अपने हृदय से अत्यंत करीब है। इसलिए नायक नायिका के मन की बात को स्वयं ही जान जायेगा।

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