महाकवि बिहारी के दोहे : बंधु भए का दीन के को तार्यौ रघुराइ

Dr. Mulla Adam Ali
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महाकवि बिहारी के दोहे : बंधु भए का दीन के, को तार्यौ रघुराइ - Bihari Ke Dohe With Hindi Meaning

Bihari Lal Ke Dohe in Hindi : बिहारी के दोहे हिंदी अर्थ सहित

बंधु भए का दीन के, को तार्यौ रघुराइ। 

तूठे-तूठे फिरत हौ, झूठे बिरद कहाइ॥

bandhu bhaye ka deen ke, ko taaryau raghurai. 

toothe-toothe phirat hau, jhoothe birad kahai.

बंधु = भाई, सहायक।

दीन = दुखी, असहाय।

को = कौन।

तायौ = उद्धार किया है।

रघुराइ = भगवान राम।

तूठे-तूठे = बड़े संतुष्ट या प्रसन्न।

फिरत हौ = घूमते हो।

बिरद = यश, प्रशंसा।

कहाइ = कहलवाकर।

भावार्थ: कवि बिहारी कहते हैं कि हे.! भगवान आप दीन बंधु कहलाते हो, आप अपनी (भगवान) प्रशंसा सुन सुनकर बड़े इतराते फिर रहे हो। यदि मेरे जैसे पापी का उद्धार करते तो आपकी गरिमा होती है। हे रघुवंश के शिरोमणि, आप यह भी बता दीजिए कि अपनी मिथ्या कीर्ति पर आप प्रसन्न क्यों? जब आपने किसी पापी को तारा ही नहीं या किसी पापी का उद्धार ही नहीं किया तो आप पतिततारण की उपाधि पर प्रसन्नता का अनुभव क्यों कर रहे हैं?

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