World Sparrow Day 2024 : गौरैया पक्षी घर आँगन में चहके ऐसा पुनीत कार्य करें

Dr. Mulla Adam Ali
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20 March World Sparrow Day 2024 Special

गौरैया पक्षी घर आँगन में चहके ऐसा पुनीत कार्य करें

संजय वर्मा "दृष्टि"

     पक्षियों का ध्यान रखना आवश्यक है। घरों में फुदकने वाला गौरैया पक्षी मौसम के पूर्व आकलन कर संकेत देती आई है।सुबह होने के पूर्व चहकना, बारिश आने के संकेत-धूल में लौटना आदि माना गया। चित्रकारी में तो सबसे पहले बच्चों को चिड़िया (गौरेय्या) बनाना सिखाया जाता है। कहने का तात्पर्य है की गौरेय्या इंसानों की सदैव मित्र रही और घर की सदस्य भी।क्यों ना हम गोरैया के लिए व् अन्य पक्षियों के लिए छांव, पानी, दाना की व्यवस्था कर पुण्य कमाए।

कई किसान अपने खेत के कुछ हिस्सों में ज्वार, बाजरा भी लगाते है उनका उद्देश्य गौरैया के प्रति दाना प्रदान करना रहता है। गौरेय्या की सेवा से मन को सुकून मिलता है।दाना पानी और रहवास की सुविधा करने पर फिर से घरों में फुदक सकती है। हम सब की प्यारी गौरेय्या।पक्षियों में अद्धभुत शक्ति होती है, भूगर्भीय हलचलों जैसे हादसों से सचेत कर देते है। साथ ही मालिक के प्रति वफ़ादारी भी निभाते है। जरुरी नहीं कि उन्हें कैद करके रखा जाए। जब भी भूगर्भीय हलचलों का होना हुआ है उसके पहले पशु -पक्षियों में भी अजीब सी संकेत स्वरूप गतिविधियाँ जैसे पक्षियों का अकस्मात ज्यादा संख्या में एकत्रित होकर कोलाहल करना, पशुओं में उनके व्यवहार में यकायक परिवर्तन होना आदि कई संकेत ये देते आये है। इनकी अजीब हरकतें आकाशीय घटना जैसे ग्रहण आदि एवं भूगर्भीय हलचल के होने के पूर्व देखी गई है। यदि उनकी इन हरकतों पर गौर किया जाए तो निश्चित तौर पर जान-माल की हानियों से बचा जा सकता है। जलस्त्रोतों, अभ्यारणों में घूमने जाते है। वहां पर खाद्य सामग्री को खाने के पश्चात खाली पॉलीथिन को वहाँ न पटके। इससे पक्षियों को आहार के साथ प्लास्टिक भी भी उनके भीतर चले जाने की संभावना बनी रहती। सघन जंगल और जल हेतु बढ़ी परियोजनाओं की सुविधाएँ तो है। किन्तु विलुप्त प्रजातियों के पक्षियों के लिए जो उपाय किये जा रहे है उनकी चाल धीमी है। लुप्तप्राय प्रजातियों को नियंत्रित परिस्थितियों में संरक्षित रखने हेतु केवल नैसर्गिक स्थान और वातावरण विश्वसनीय समाधान है। दुर्लभ और मरणोन्मुख पक्षियों को सुरक्षित रखना एवं वंश वृद्धि की और ध्यान देने का लक्ष्य एवं कर्तव्य निश्चित करना होगा। साथ ही संरक्षित स्थानों को दूषित वातावरण से मुक्त रखना होगा। प्लास्टिक मुक्त भारत होने से प्लास्टिक से होने वाली गंभीर बीमारियों से छुटकारा मिलेगा साथ ही आहार में पक्षियों के द्धारा खा लेने से पक्षियों को मृत होने से बचाया जा सकेगा। रासायनिक खाद और कीटनाशकों का खेती में उपयोग कम कर जैविक खाद का उपयोग ज्यादा से ज्यादा मात्रा में किया जाना होगा इनके अलावा अवैध खनन, अतिक्रमण -इनके हीत में जो भूमि अधिग्रहित की है उस पर अतिक्रमण ना होने पाए और इनका बसेरा बिना भय के रहकर उन्मुक्त उड़ान भर सके।

अक्सर लोग जलस्त्रोतों, अभ्यारणों में घूमने जाते है। वहां पर खाद्य सामग्री को खाने के पश्चात खाली पॉलीथिन को वहाँ न पटके। इससे पक्षियों को आहार के साथ प्लास्टिक भी भी उनके भीतर चले जाने की संभावना बनी रहती है। देखा जाए तो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में यूं तो कई वृहद, मध्यम जल परियोजनाएं निर्मित है। एवं लघु तालाब भी निर्मित है। पक्षीयों का ज्यादा संख्या में एक साथ आना और बड़ी जल परियोजनाओं के तटों पर जल एवं आहार मिल जाता है। किंतु जब सूखा या अल्प वर्षा की स्थिति निर्मित हो तो अभ्यारणों में कृत्रिम जल संरचनाएं जगह- जगह ज्यादा संख्या में निर्मित किया जाना चाहिए। ताकि उनमे जल बाहर से लाकर भरकर गर्मी में पक्षियों और वन्य जीवों को सुलभता से प्राप्त हो सके। और प्यास के कारण उनको मरने से बचाया जा सके। क्योंकि पृथ्वी रहने का जितना अधिकार इंसानों का है उतना अधिकार पशु -पक्षियों का भी है। 

संजय वर्मा "दृष्टि"

125 , बलिदानी भगतसिंग मार्गहित

 मनावर जिला धार मप्र

9893070756

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