Meri Kavitayen : मेरी अपनी कविताएं - रितु वर्मा

Dr. Mulla Adam Ali
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Ritu Verma Poetry : Meri Kavitayen

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मेरी अपनी कविताएं : रितु वर्मा

मैं रितु वर्मा, छत्तरपुर (नई दिल्ली) से हूं। मैं M.A हिन्दी से पूर्ण किया है। मुझे हिन्दी साहित्य से बेहद लगाव है और मुझे लिखना और पढ़ना बेहद पसंद है। इसलिए मैंने यह कुछ कविताएं आप सभी के साथ साझा की है। जहाँ मैंने अपने जीवन के व्यक्तिगत अनुभवों को आपके समक्ष तथा अपने विचारों को प्रस्तुत करने कि कोशिश की हैं। मेरी रचनाओं में आपको जीवन के हर अनुभवों का अनुभव होगा। जो आजकल सभी के जीवन में घटित होती रहती हैं। उम्मीद है आपको यह पसंद आएगी।

1. आज 

जो कल था।

उसे कल मेे ही रहने दो,

जो आज है उसे

आज में जी लेने दो,

क्यों याद कर उस कल को

दिल दुखाते हो खुद का,

देखो इंतजार कर रहा 

आनेवाला कल,

एक नई उम्मीदों के साथ।

जी लो इन खुशियों को

एक नई पलों के साथ।

जो बीत गया,

उसे बीता ही रहने दो।

जो आज है उसमे

खुद को जी लेने दो।


2. नारी मन 

सारे सपने को संजोते हुए नारी 

अपने कई सपने को धीरे-धीरे संजोती है।

फिर न जाने अचानक से एक दिन 

उसके सारे सपने बिखर से जाते हैं।

 बेबस हो जाती है नारी उस पल में 

 उनके न समझे जाने से जब सारे अरमान उसके उसके सामने ही कुचले जाते है।

खामोशी में सिमट कर रह जाती है वो नारी अपने मन को दिलासे देकर 

कि नारी का यही जीवन है।

फिर एक दिन सब कुछ भुलाकर 

 एक नई उम्मीद को अपने मन में जगाकर एक नई शुरुआत करती हैं। 

शायद य़ह सोचकर कि एक दिन 

कोई मिल जाए उसे भी ऐसा 

जो उसकी खामोशी में भी 

बेहिसाब बातों को पढ़ सकता हो। 


3. तारों भरी रात

तारों भरी रात में 

कोई ऐसा शख्स हो साथ में 

जो मुझे समझ सकें जिसे मैं समझ सकूँ ।

जो मेरी नादानियो में भी अपनी

समझदारी की ताल को मिला सके।

जिसकी एक बातों कि आहट से 

मेरी नादानी भी समझदारी में 

तब्दील हो सके।

जहाँ दोनों ही अपने खुशी और गम 

एक दूसरे से बेहिचक आपस में साझा कर सके।

जहाँ दोनों ही शख्स एक-दूजे के 

अनकहे ज़ज्बात को बिन बोले ही 

आँखों में खामोशी से पढ़ सके।

4. अनजाना सफर 

अनजाना सफर है जीवन का। 

जिसमें कभी कुछ खोने का डर है तो 

कभी कुछ पाने कि बेकरारी।

जीवन के हर सफर में जिंदगी हमें हमेशा असमंजस में डाल ही देती है, 

कभी पल में हमें वो ऐसी 

खुशी दे देती है ,

जिसकी हमने कभी कल्पना भी 

नहीं की या फिर कभी जिंदगी पल में ऐसे सब कुछ छीन लेती है।

जैसे सब कुछ कि डोर उसी के हाथों में है, 

और हम दोनों ही हालतों में बस स्तंभित मौन होकर उसके साथ हो लेते है।

जिसे स्वीकारने के अलावा हमारे पास कोई और मार्ग ही नहीं बचता है। 

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5. मन नहीं करता

फिर से न जानें क्यों अब 

उन गलियों में जानें का 

मन नहीं करता है।

रुक सी जाती है जहाँ जीवन की हर घड़ियाँ उन लम्हों में फिर से जानें का 

अब मन नहीं करता है।

माना कि उस पल हम वाकिफ़ न थे 

उन पलों के बीतने से पहले 

पर अब जब सब समझ आया तो 

उन रास्तों पर फिर से चलने का 

अब मन नहीं करता है।

यू तो जिंदगी अब तन्हा सी कट रहीं 

पर फिर से उन गलतियों को

फिर से दुहराने का अब मन नहीं करता है।

बहुत वक्त लगा है उस वक्त से बाहर निकलने में और...

अब उन वक्त में फिर से डूब जाने का 

अब मन नहीं करता है।


6. कैसे कह सकता है कोई 

कि वह शख्स कुछ नहीं कर सकता

तुम उसे एक मौका तो दो।

शायद वो भी छू ले आसमा 

उसे छूने का एक मौका तो दो।

रब ने बनाया है हर एक बन्दे को एक समान बस उसे काबिल समझकर 

एक मौका तो दो।

वो भी बना सकता है,

अपनी एक पहचान 

बस उसे अपनी पहचान 

बनाने का एक मौका तो दो।

बहुत सी काबिलियत छुपा रखी है उसने अपने अंदर 

उस काबिलियत को तुम पहचान 

उसे एक मौका तो दो।

बन सकता है वो भी कोयले से हीरा 

बस तुम उसे तराशकर..उसे 

सबके सामने आने का एक मौका तो दो। 

7. आज के जमाने में

प्यार जताने का बस एक तरीका 

लोगों को बस आता है।

रिश्ते चाहे जो भी हो बस दिखावा करना आता है।

किसी भी रिश्ते को खूबसूरत बताने के लिए महंगे तोहफे,फूल और न जानें क्या-क्या

यही सब को बस देना आता है। 

हर एक रिश्ते में क्या चाहिए?

ये समझना कोई नही चाहता है,

बड़ी-बड़ी बातें सब करते है

पर रिश्तों पर कीमती समय कोई नही देना चाहता है।

रिश्तों मे जो सबसे कीमती तोहफा है

वो कोई नही देना चाहता है।

बस काम के तरह रिश्तों को भी 

लोगों को भी जल्दी निपटाना आता है।

खत्म हो रहे सच्चे रिश्ते इस निभाने के नई तरीके से

खोखली हो गयी है हर रिश्ते 

निभाने के इस नए तरीके से।


8. रात हमारे ख्वाब कहाँ है,

 तेरे घने अंधेरे में 

ख्वाब गुम सी हो जाती है।

फिर सुबह के उजाले में 

सारे ख्वाब मिल जाती है ।

तब लोगों के इस भीड़-भाड में

ख्वाब भी बेचैन हो जाती है, 

फिर से उन ख्वाबों को पूरा करने में ।

सभी जगह ये भटकती रहती हैं

जब तक ये ख्वाब पूरे न हो।

फिर दिन-रात ये मचलती रहती हैं

अपने ख्वाबों को पूरा करने में। 

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9. छोटी-छोटी बातों में खुश रहना सीखो। 

यू बड़ी खुशियों के इंतजार में

छोटी-छोटी खुशियों को यूँही न गवाएं।

जी ले ज़िन्दगी इन छोटी खुशियों के साथ ये पल नहीं आयेंगे फिर से अपने हाथ।

यहीं तो जीवन की सुनहरी यादें है,  

जो बीत जाने पर ये कभी 

लबों पर हल्की मुस्कान बन के आती है।


10. स्त्रियों को अपने जीवन में

कोई खास उम्मीेंदे

नहीं होती हैं।

छोटी छोटी खुशियों में

वह अपनी बड़ी खुशियां 

ढूंढती रहती हैं।

अपनों के पसंद को वह

अपना पसंद बताती रहती हैं।

फिर सबके सपनों को

वो अपने सपने बताती रहती हैं।

दिल न दुखे किसी का

वह अपने ख्वाहिशें छुपाती रहती है। 

हर किसी की खुशियों में 

अपनी उम्मीदें ढूंढती रहती हैं।

अपनी इच्छाओं को

मन के किसी कोने में

दफन किए हर पल मुस्कराती रहती है।

सब ठीक है यह कहकर

दबी सी आवाज में बस 

आगे बढ़ती चली जाती हैं।


11. दुनियां से क्या शिकायत करना।

जब कि दुनियां तो कल भी अच्छी थी

और आज भी अच्छी है।

बुरा तो हम रह रहे

इंसानों और उसके विचारों ने

इस दुनियां को बनाया है।

जब उठा नहीं पाते हम

अपने दोषों और विचारों का भार

तो बड़ी आसानी से शिकायत कर देते है।

ये दुनियां ही सही नहीं है। 

जबकि ये दुनियां को अच्छा 

और बुरा बनाना ये तो 

हम पर ही निर्भर करता हैं।

12. जीवन नहीं रुकता।

जीवन में सुख दुःख आने से जीवन नहीं रुकता हैं। 

सुख दुःख के पल ही तो 

जीवन जीने का अनुभव कराते है,

कुछ भी अच्छा बुरा हो जाए इससे दुनियां ठहरती नहीं।

जो चलता है हमारे मन में चलता 

कोई किसी के बिन यहां कोई भी रुकता नहीं।

हम आये ही है इस दुनिया मेे

अपनी-अपनी भूमिका निभाने

इसमें किसी को ठहरना ही नहीं कोई आए या जाए।

इससे जिंदगी किसी की रुकती ही नहीं।

हर किसी को बस आगे बढते जाना है,

अपने-अपने हिस्से का कर्म सबको करते जाना है।

ये ज़िन्दगी है ,यहां सबको 

बस आगे बढ़ते जाना है।

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13. वक़्त नहीं है,

सब कहते है।

लेकिन सब मस्त रहते है,

जितनी जरूरत खुद की हो

उतना ही सब वक़्त देते है।

वक़्त नहीं है सब कहते है,

पर गैरों को सब वक़्त देते है।

जहाँ दिखे बस अपना स्वार्थ

वहीं सब अपना वक्त देते हैं।

वक़्त नहीं है सब कहते है 

पर ओरों का सब वक़्त चाहते हैं।

वक़्त नही है यह सब कहकर

अपनी छोटी -छोटी खुशियों से

सब बस यूहीं खुद को दूर रखते है।

वक़्त नहीं है सब कहते है।

बस अपने तरह से 

जीवन जीने के लिए

लेकिन सब मस्त रहते है।


14. अकेलापन वह सफर है,

जिस सफ़र पर हर शख्स चलते है।

कोई कहता है, कोई छुपा लेता है ,

पर मन ही मन इसमें हर शख्स घिरे होते हैं।

यू तो अपनी अपनी-अपनी तस्वीरो में 

हर शख्स बेहद खुश नजर आता है।

पर गहराईयों में झाँककर देखो तो हर दूसरा शख्स बेहद अकेला है,

 ये मालूम चलता है। 

कोई खुशियों में भी अकेला है,तो कोई गम में अकेला हैं। 

कोई कह देता है तो कोई छुपा लेता है,

इस अकेलेपन के साथ हर शख्स हो लेता हैं। 

सबका अपना-अपना ही हुनर है,

कोई अकेलापन को जी लेता है,

 तो कोई अकेलापन का हो लेता हैं। 


15. लिखने को बहुत कुछ है,

पर आहिस्ता-आहिस्ता लिखूँगी।

शब्दों के भंवर में उलझ न जाऊँ 

इसलिए सोच समझ कर लिखूँगी।

यू मेरे लिखी बातों से कोई दुःखी न हो जाए ,

इसलिए बातों को गौर से लिखूँगी।

यूँही मेरी लिखी हुई सोच से 

किसी के मन पर प्रहार न हो जाए,

इस बात का ध्यान रखकर लिखूँगी।

लिखना तो बहुत कुछ है ,

पर आहिस्ता-आहिस्ता लिखूँगी। 

- रितु वर्मा

छत्तरपुर (नई दिल्ली)

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