Dhoop Poem In Hindi : धूप पर बाल कविता
धूप पर बद्री प्रसाद वर्मा अनजान की बाल कविता
🌞धूप ☀️
गर्मी में खूब सताती धूप
खूब पसीना देती धूप।
लोगों को रुला रुला कर
मन ही मन मुस्काती धूप।
सूरज की गमीॅ ले कर
हम पर है बरसाती धूप।
सब पर अपना गुस्सा
जी भर के दिखाती धूप।
दिन भर घुमा करती है
नहीं कभी सुस्ताती धूप।
पेड़ो और पत्तो पर भी
खूब कहर ढाती धूप।
जून जुलाई में तो
गजब की आफत ढाती धूप।
दिन भर दौड़ लगाती रहती
शाम को बस छुप जाती धूप।
जब आता बरसात का मौसम
छुई मुई हो जाती धूप।
देख कर बादलों को
डर कर भाग जाती धूप।
- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
अध्यक्ष स्वगीॅय मीनु रेडियो श्रोता क्लब
गल्ला मंडी गोला बाजार 273408 गोरखपुर (उ प्र)
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